For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब  हद हो गयी आजमाने की,
मेरे बुलाने की, तेरे न आने की।
रहे छुपाते अपनी-अपनी कबसे,

पर्दाशुदा हुआ नजर ज़माने की।
बेदम पड़ी ख्वाहिशें भी देख लो,
तेरी  पाने की,अपनी लुटाने की।

कितना कहें शेर? फिजां तेरे रुत

में आने की,मेरे कसम निभाने की।
अपनी खुदी खुद मिटा माँगता मैं
कुछ तेरी नेमतें गले लगाने की।

@मनन (मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 446

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 27, 2014 at 12:02pm

बहुत खूब भाई मनन कुमार जी, बढ़िया प्रस्तुति है। थोड़ी मेहनत और करते तो सुन्दर ग़ज़ल बन जाती।    

Comment by Hari Prakash Dubey on November 26, 2014 at 2:22am

बधाई आ० मनन जी 

Comment by Manan Kumar singh on November 25, 2014 at 9:53pm

स्नेह और सुझावों की अमूल्य रिमझिम के लिए आदरणीय/आदरणीया  सोमेश जी, मुकेशजी, मीनाजी व राजेश कुमारीजी को ढेर-सी शुभाकांक्षाएं @मनन 

Comment by somesh kumar on November 25, 2014 at 7:33pm

इस रचना को पढ़ते हुए ,मेरठी साहब की याद आ गई ,सुंदर लहजे वाली आती-सुंदर गज़ल पे बधाई 

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on November 25, 2014 at 5:33pm

waah waaah waah - bahut sundar mitra - badhaaee

Comment by Meena Pathak on November 25, 2014 at 4:05pm

बहुत सुन्दर ...बधाई आ० मनन जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2014 at 11:05am

इसको ग़ज़ल में ढालें तो बहुत बेहतरीन लगेगी ..बढ़िया प्रस्तुति बधाई आपको मनन जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service