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जीवन में उत्कर्ष (दोहे)- लक्ष्मण रामानुज

धरती माँ की गोद में, फिर आया नववर्ष,     

प्यार मिला माँ बाप से, जीवन में उत्कर्ष |

 

भाई सब देते रहे, मुझको प्यार असीम,

मित्र मिले संसार में, रहिमन और रहीम |

 

आई बेला साँझ की, समय गया यूँ बीत,

इतने वर्षों से यही,  समय चक्र की रीत |

 

बचपन बीता चोट खा,  माँ बापू बेचैन,

पूर्व जन्म के कर्म थे, भोगूँ मै दिन रेन |

 

मिला मुझे संयोग से,सात जन्म का प्यार,

मेरे घर परिवार से,  दूर  हुआ अँधियार |

 

दुर्बल तन बलवान मन, रहूँ वैद्य से दूर,

संतोषी मन भाव से, ह्रदय प्रेम भरपूर |

 

सरस्वती भण्डार से, मिला मुझे कुछ ज्ञान,

विद्वजनों की राह से, ठीक हुए दिनमान |

 

गुरुजन को मै दे सकूँ, क्या ऐसी सौगात,

सूरज सम्मुख दीप की, क्या कोई औकात |

 

जय हो वीणा वादिनी भरे भाव भरपूर,

सौरभ सा खिलता रहे, मेरे मन का नूर |

 

सत्तर की दहलीज पर, करो अगर स्वीकार

मुक्त ह्रदय से कर रहा, मै सबका आभार |

(मार्गदर्शक आद श्री योगराज प्रभाकर जी और श्री सौरभ पाण्डेय जी को समर्पित)

(मौलिक व अप्रकाशित)

-लक्ष्मण रामानुज लडीवाला 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2014 at 5:24pm

आ० लक्ष्मण जी ,बहुत ही सुन्दर दोहे ..हर दोहा शानदार ..हार्दिक बधाई आपके दोहों पर हार्दिक बधाई आपकी लगन और प्रयास पर ..हार्दिक बधाई आपकी सफलता पर ..आप सच में नव हस्ताक्षरों के लिए एक प्रेरणा  स्रोत हैं |सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2014 at 3:13pm

हार्दिक  आभार  आपका श्री  गोपाल  नारायण  श्रीवास्तव  जी -

जन्म दिवस पर आपका, मिल जाए आशीष

आभारी हूँ आपका,  भली  करे  जगदीश  |

Comment by Shyam Narain Verma on November 19, 2014 at 2:04pm

बहुत सुंदर और अनुपम रचना अभिव्यक्ति  के लिए  हार्दिक  बधाई.............

 सादर...................

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2014 at 12:34pm

आदरणीय योगराज भाई  जी, इस मंच से और विशेषकर आप और आद सौरभ जी, डॉ प्राची जी जैसे विद्वजनों के प्रति आज मै अपने जन्मदिन पर हृदयतल से हार्दिक आभार व्यक्त करना अपना दायित्व मान इस मंच के प्रति करना श्रद्धा स्वरूप ही दोहे रचे है | प्रभु आपस में सद्भाव बनाए रखे, इसी कामना के साथ  आपका बहुत बहुत आभार 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2014 at 12:29pm

हार्दिक  आभार श्री  सोमेश कुमार जी 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 19, 2014 at 12:26pm

लडीवाला जी

इतने अच्छे दोहे आपने लिखे कि मन  मगन हो गया i आपने शिल्प में सुधार पा लिया है i  यह आपके  जज्व्बे का कमाल है जो सीखना चाहता है i मित्र ऐसे ही लिखते रहे i आप की कलम दूर तक जायेगी i


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 19, 2014 at 12:16pm

दोहों के माध्यम से इस मंच को जो शब्दांजलि दी है, स्तुत्य है। हार्दिक बधाई आ० लडीवाला जी।

Comment by somesh kumar on November 19, 2014 at 10:22am

SUNDER DOHON KE MADHYM SE AAP NE APNI JIVAN YATRA KA  SUNDER VRNN KIYA HAI ,BDHAI SVIKAR KREN

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