For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन में उत्कर्ष (दोहे)- लक्ष्मण रामानुज

धरती माँ की गोद में, फिर आया नववर्ष,     

प्यार मिला माँ बाप से, जीवन में उत्कर्ष |

 

भाई सब देते रहे, मुझको प्यार असीम,

मित्र मिले संसार में, रहिमन और रहीम |

 

आई बेला साँझ की, समय गया यूँ बीत,

इतने वर्षों से यही,  समय चक्र की रीत |

 

बचपन बीता चोट खा,  माँ बापू बेचैन,

पूर्व जन्म के कर्म थे, भोगूँ मै दिन रेन |

 

मिला मुझे संयोग से,सात जन्म का प्यार,

मेरे घर परिवार से,  दूर  हुआ अँधियार |

 

दुर्बल तन बलवान मन, रहूँ वैद्य से दूर,

संतोषी मन भाव से, ह्रदय प्रेम भरपूर |

 

सरस्वती भण्डार से, मिला मुझे कुछ ज्ञान,

विद्वजनों की राह से, ठीक हुए दिनमान |

 

गुरुजन को मै दे सकूँ, क्या ऐसी सौगात,

सूरज सम्मुख दीप की, क्या कोई औकात |

 

जय हो वीणा वादिनी भरे भाव भरपूर,

सौरभ सा खिलता रहे, मेरे मन का नूर |

 

सत्तर की दहलीज पर, करो अगर स्वीकार

मुक्त ह्रदय से कर रहा, मै सबका आभार |

(मार्गदर्शक आद श्री योगराज प्रभाकर जी और श्री सौरभ पाण्डेय जी को समर्पित)

(मौलिक व अप्रकाशित)

-लक्ष्मण रामानुज लडीवाला 

Views: 1115

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 23, 2014 at 10:24am

नमस्कार  भाई  श्री  सत्यनारायण सिंह जी, आपकी  शुभकामनाए  मेरे लिए अहम् है | दोहे सारगर्भित  बताकर  मान  देने के लिए आपका  ह्रदय से अतिशय  आभार |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 23, 2014 at 10:21am

दोहे पसंद  करने  के  लिए  आपका  हार्दिक  आभार  श्री  गिरिराज भंडारी जी 

Comment by Satyanarayan Singh on November 22, 2014 at 8:53pm

आ. लडिवालाजी सादर,

सर्वप्रथम  इस जन्मदिन की विलंबित शुभकामनाएं, जन्मदिन के शुभअवसर पर सुन्दर! सारगर्भित दोहों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 22, 2014 at 10:19am

दोहे पसंद कर  सराहने के लिए हार्दिक  आभार  श्री हरी प्रकाश दुबे जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 22, 2014 at 10:18am

दोहे प्रभाशाली बता कर दोहों का महत्व बढाने  के  लिए  आपका हार्दिक  आभार  श्री (डॉ) विजय शंकर जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 20, 2014 at 11:57pm

गुरुजन को मै दे सकूँ, क्या ऐसी सौगात,

सूरज सम्मुख दीप की, क्या कोई औकात ------- आदरणीय लक्ष्मण भाई , लाजवाब दोहावली के लिये हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Hari Prakash Dubey on November 20, 2014 at 5:20pm

बचपन बीता चोट खा,  माँ बापू बेचैन,

पूर्व जन्म के कर्म थे, भोगूँ मै दिन रेन |......बहुत ही खूबसूरत ,हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण रामानुज  जी।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 20, 2014 at 10:19am

दोहों पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया से और उत्साह्वार्धन हुआ है | आपकी  शुभकामनाए पाकर मै धन्य हुआ | आपका हृदयतल से हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी | 

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 19, 2014 at 5:52pm
प्रभावशाली दोहों की प्रस्तुति , बधाई आदरणीय लक्षमण लडीवाला जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2014 at 5:30pm

जन्मदिवस की असीम शुभकामनायें .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service