For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - क़सम ले लो उन्हें फिर भी न मैं बुरा कहता --( गिरिराज भंडारी )

क़सम ले लो उन्हें  फिर भी न मैं बुरा कहता

****************************************

१२१२      ११२२     १२१२     २२ /११२ 

वो मेरे दिल में न होते  तो मैं  ज़ुदा  कहता

क़सम ले लो उन्हें  फिर भी न मैं बुरा कहता

 

वो जिसकी  ताब ने ज़र्रे  को आसमान किया  ( ओ बी ओ को समर्पित )

उसे न कहता तो फिर किसको मैं ख़ुदा कहता

 

रहम  दिली  पे  मुझे  खूब  है यकीं  उनकी

करूँ क्या ? वक़्त मिला  ही न  मुद्दआ  कहता 

 

तवील  है तो  सही  मेरी  दासतां , मैं  उसे

कभी  कभी  मिले  होते , ज़रा  ज़रा कहता

 

हरेक बात मैं  कहता  उन्हें, मगर  दिल  के

वो  पूछते  कभी  अरमाँ, छुपा  छुपा  कहता

 

नज़र  वो  आयें,  अगर मेरे  आस्ताने   में

तुम्हीं कहो ? कि इसे  क्या मैं हादसा कहता 

 

अभी  तो  ख़ुद से  मुलाक़ात  मेरी बाक़ी है

जवाब है नहीं हासिल मुझे , तो क्या कहता

******************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

Views: 720

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2014 at 10:08pm

आदरनीया प्राची जी , आपकी सराहना ने मेरा खूब उत्साह वर्धन किया ! आपका दिली आभार !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2014 at 10:07pm

आ. मुकेश भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभार । आपकी सलाह भी सुन्दर है , अभी और भी सुधार करना है , इस पर भी सोचूंगा !

गज़ल मे आफिया  केवल  आ ( स्वर ) है , अतः और पहले के व्यंजन को या उसकी मात्रा को मिलाना ज़रूरी नही है , !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 12, 2014 at 10:02am

जटिल प्रतीत होती बह्र को भी बहुत खूबसूरती  से साधा है आदरणीय गिरिराज भंडारी जी 

सभी शेर बहुत प्रभावी हुए हैं 

अभी  तो  ख़ुद से  मुलाक़ात  मेरी बाक़ी है

जवाब है नहीं हासिल मुझे , तो क्या कहता..........बहुत सुन्दर 

मंच को समर्पित शेर के भावों पर आपके साथ मैं भी नत हूँ.

बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल पर 

Comment by umesh katara on November 11, 2014 at 9:25am

 
कफिया में उआ,अआ,ओआ,लिया गया है क्या सर इस तरह लिया जा सकता हैं 
जबकि मतले मे उआ लिया गया है
जैसे कि ........ज़ुदा....बुरा 

Comment by umesh katara on November 11, 2014 at 9:20am

सर बहुत अच्छी ग़ज़ल है बधाई सर
क्षमा सहित ----सुझाव सर
हरेक बात मैं कहता उन्हें मगर दिल के
वो पूछते कभी अरमाँ मेरे छुपा कहता
छुपा -छुपा कुछ अटापटा सा लगा ---
मात्र सुझाव है सर अन्यथा न लें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 11, 2014 at 8:47am

आदरणीय गुमनाम भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 11, 2014 at 8:47am

आदरणीय महर्षि त्रिपाठी भाई , सराहना के लिये दिली आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 11, 2014 at 8:45am

आदरणीया राजेश कुमारी जी , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभार । मै गलतियों को सुधारने का प्रयास कर रहा हूँ ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 11, 2014 at 8:45am

हरेक बात मैं  कहता  उन्हें, मगर  दिल  के

वो  पूछते  कभी  अरमाँ, छुपा  छुपा  कहता.....बहुत खूबसरत

आदरणीय गिरिराज जी, इस लाजवाब गजल पर आपको दिल से बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 11, 2014 at 8:43am

आदरणीय योगराज भाई , ग़ज़ल पर आपकी सटीक सलाह और सराहना के लिये हार्दिक आभार । तकाबुले रदीफ का दोष मै जानते हुये दूर नही कर पाया था , अभी भी कोशिश ज़ारी है , बाक़ी दोनो ग़लतियाँ मैं तुरंत दूर कर लूंगा । अगर तकाबुले रदीफ दूर करने के लिये आपका कोई सुझाव हो तो ज़रूर बताइयेगा । आपका पुनः आभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
13 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
16 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
16 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
16 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
16 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service