For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रविवार का दिन था। सज्‍जनदासजी के घर पड़ौसी प्रकाश चौधरी आ कर चाय का आनंद ले रहे थे।

बातों बातों में प्रकाशजी ने कहा- ‘क्‍या जमाना आ गया, देखिए न अपने पड़ौसी, वे परिमलजी, कोर्ट में रीडर थे, उनके बेटे आशुतोष की पत्‍नी को मरे अभी साल भर ही हुआ है, मैंने सुना है, उसने दूसरी शादी कर ली है। बेटा है, बहू है और एक साल की पोती भी। अट्ठावन साल की उम्र में क्‍या सूझी दुबारा शादी करने की। पत्‍नी नौकरी में थी, इसलिए पेंशन भी मिल रही थी। अब शादी करने से पेंशन बंद हो जाएगी। यह तो अपने पैरों पर कुल्‍हाड़ी मारना हुआ।‘

‘हाँ, सुना तो मैंने भी है। पर बात कुछ अलग है, और है भी कायदे की।‘

‘क्‍या है, इस उम्र में शादी करने की कोई तुक है।‘ प्रकाशजी ने अतिउत्‍साह से कहा।

’अरे, प्रकाश जी, आशुतोष बहुत समझदार हैं, मेरी उससे बातचीत हुई थी। हम साथ ही तो नौकरी पर लगे थे। मैं इसी महीने रिटायर हुआ हूँ और आशुतोष अगले साल रिटायर हो रहा है। वह बता रहा था बेटा आवारा है, कुछ करता-धरता नहीं हैं, लाखों गँवा दिये, मुकदमे चल रहे हैं। आगे भी सम्‍हल पाएगा, लगता नहीं है। इसलिए उसने सोच समझ कर बेटे बहू से पूछ कर फैसला किया है। जो औरत उनके साथ रह रही है, उससे उसने अभी शादी नहीं की है। समाज और जाति बिरादरी की ही है, अभी ‘लिव इन रिलेशनशिप’ के अंतर्गत कानूनी कार्यवाही कर समाज के बीच में बाकायदा वरमाला पहना कर, और रिटायरमेंट से पहले विवाह का वादा करके ले कर आया है आशुतोष।‘

’क्‍या कह रहे हैं, सज्‍जनजी, ऐसा है क्‍या?’

’हाँ, अभी वह घर के वातावरण्‍ा में ढल जाएगी। बेटे बहू की सामंजस्‍यता भी बैठ जाएगी। आशुतोष की पहली पत्‍नी परिणीताजी की पैंशन भी मिलती रहेगी। रिटायरमेंट के छ:-सात महीने पहले शादी घोषित कर देंगे और सरकारी खाते में बतौर पत्‍नी दर्शाने से वह भी भविष्‍य में पेंशन की हकदार हो जाएगी, ताकि लंबे समय तक परिवार को भरण पोषण की चिंता नहीं रहेगी।

‘वाह, यह तो बहुत बुद्धिमानी की आशुतोष ने।‘

‘घर में जवान बेटे बहू हैं, बच्‍चे छोटे हैं, इसलिए एक जिम्‍मेदार औरत का होना जरूरी भी है, शारीरिक सम्‍बंध ही तो सबकुछ नहीं, घर की और भी कई जिम्‍मेदारियाँ है, बेटा आवारा है, घर में अकेली बहू, छोटी बच्‍ची, शायद यही सोच कर आशुतोष ने यह निर्णय लिया होगा। नौकरी से थके हारे घर आने पर अपने मन की बात कहने सुनने वाला भी तो होना चाहिए न।‘ सज्‍जन जी बोले।

उन्‍हेांने बात ऐसे ढंग से कही कि प्रकाश जी हँसे बिना नहीं रह सके। चाय की चुसकी के साथ दोनों ठहाके मार कर हँस रहे थे।

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 534

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shubhranshu Pandey on November 18, 2014 at 7:37pm

सुन्दर विषय को उठाया है.

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 12, 2014 at 9:38am

बहुत ही रोचक और सामयिक प्लाट है इस कहानी का...पर शिल्पगत सुझावों के लिए जानकारों के कहे से मेरी भी सहमति है 

प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें आ० डॉ० गोपाल कृष्ण भट्ट जी 

Comment by Shyam Narain Verma on November 10, 2014 at 12:42pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ... सादर बधाई


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 10, 2014 at 11:41am

गंभीर विषय पर अच्छी कलम आज़माई की है, लेकिन इसको लघुकथा हरगिज़ नहीं कहा जा सकता आ० डॉ आकुल जी। थोड़ी सी मेहनत और करें तो अच्छी खासी कहानी अवश्य बन सकती है।

Comment by somesh kumar on November 9, 2014 at 5:03pm

यूँ तो मैं स्वयं ,इस मंच के गुरुओं से लघुकथा सीख रहा हूँ पर हाँ ,आप की कहानी में स्पष्टता की कमी लग रही है ,कोशिश करें ,कहानी पोस्ट करने से पहले उसे 2-3 बार पढ़े और कमी लगने पर सुधार भी करें ,कोशिश और विषय दोनों गम्भीर हैं |कोशिश को साधुवाद 

साधुवाद 

Comment by ram shiromani pathak on November 9, 2014 at 2:14pm

बात तो सही की आपने आदरणीय//हार्दिक बधाई आपको 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 9, 2014 at 10:44am

कहानी उपन्यास शैली में हो गयी है, लघुकथा में मिलने वाली तीक्ष्णता लुप्त है, एक गंभीर विषय पर लेखन हेतु बधाई आदरणीय "अकुल" साहब .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service