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 मुख्यधारा

“ ए रुको,अपना लाइसेंस दो “ट्रैफिक हवलदार ने उसकी मोटर-साईकिल रोकते और चलान मशीन की तरफ देखते हुए कहा |

“ क्यों ,क्या हुआ साहब ? ”

“ पिछली सवारी बिना हेलमेट के है |”

“ नाम-मदन ,गाड़ी न.- - - - “

सर ,कारण क्या देंगें ?

“ पिछली पुरुष सवारी बिना हेलमेट “

पर ये तो - - -

“अच्छा ,स्त्री है ,माफ़ करना,पहनावे और बालों से मालूम नहीं हुआ “

“तो सर ,चालन में स्त्री या पुरुष लिखना जरूरी है ?”

“हूँ |अब जब से औरतों के लिए हेलमेट अनिवार्य हुआ है तो- - - “

“ फिर तो आपका चलान इनवैलिड है ,ये मुख्यधारा में नहीं हैं |”

सोमेश कुमार (मौलिक एवं अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 6, 2014 at 8:04am

बहुत बढ़िया घटना को साझा किया आपने, आदरणीय सोमेश जी. बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 5, 2014 at 11:51am

आ. सोमेश भाई , बढिया विषय चुना है ,लघुकथा के लिये , बधाइयाँ ।

Comment by somesh kumar on November 3, 2014 at 3:33pm

aabhar ,yograj prbhakr ji ka ashish aur laxman sr ka margdrshn,dono hi mujhe aur accha likhne hetu preit krenge,aisa vishwas hai 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 3, 2014 at 10:54am

लघु कहानी के प्रयास के लिए बधाई श्री सोमेश कुमार जी, पर रचना में कुछ और कसावट चाहिए जो पराभाव छोड़ सके |


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 10:40am

लघुकथा कहने का सद्प्रयास हुआ है जिस हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें।

कृपया ध्यान दे...

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