For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझको फुर्सत में सताती है मेरी तनहाई...

बात करता हूं तो बातों में मेरी तनहाई
आंसुओं की तरह आंखों में मेरी तनहाई,

मेरी दहलीज पे जलते हुए चरागों को
आंधी बन करके बुझाती है मेरी तनहाई,

बेवफाई का गिला जब भी किया है मैंने
मुस्कराती है, रुलाती है मेरी तनहाई,

मेरे हिस्से के ये इतवार इन्हें तुम ले लो
मुझे फुर्सत में सताती है मेरी तनहाई,

जिंदगी मौत की राहों पे चला करती है
आईना रोज दिखाती है मेरी तनहाई,

दुश्मनों ने तो हमें वार करके छोड दिया
दोस्ती रोज निभाती है मेरी तनहाई।।

जब भी हमको वो अकेले में देख ले 'मौसम'
भागती—दौडती आती है मेरी तनहाई।।

.

- मौलिक व अप्रकाशित
#(अतुल 'मौसम')

Views: 838

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by atul kushwah on November 1, 2014 at 6:08am
आदरणीय गिरिराज सर..लम्बे अरसे बाद आपका आशीष और स्नेह मिला .मन को अच्छा लगा..बहुत-बहुत आभार ..सादर-अतुल.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 1, 2014 at 5:34am

जिंदगी मौत की राहों पे चला करती है
आईना रोज दिखाती है मेरी तनहाई, ------------- लाजवाब  ग़ज़ल कही भाई अतुल जी , इस शे र के लिये विशेष बधाई स्वीकार करें ।

Comment by atul kushwah on October 30, 2014 at 9:16pm

आदरणीय भाई सा​रथी जी, स्नेह बख्शने के लिए तहेदिल से आभार। सादर— अतुल

Comment by Saarthi Baidyanath on October 30, 2014 at 9:07pm

आंसुओं की तरह आंखों में मेरी तनहाई, क्या गज़ब ! उम्दा है जनाब ...! बहुत बधाई 

Comment by atul kushwah on October 30, 2014 at 5:37pm

आदरणीय गोपाल नारायन सर, अबोध को अशीषने के लिए आभार। सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 30, 2014 at 3:04pm

जिंदगी मौत की राहों पे चला करती है
आईना रोज दिखाती है मेरी तनहाई,

दुश्मनों ने तो हमें वार करके छोड दिया
दोस्ती रोज निभाती है मेरी तनहाई।।------------------------- सुन्दर रचना i

Comment by atul kushwah on October 29, 2014 at 5:53pm

आदरणीय विजय सर, आशीष बनाए रखिएगा। सादर—अतुल

Comment by atul kushwah on October 29, 2014 at 5:52pm

आदरणीय नरेन्द्र भाईजी, आपका बहुत—बहुत आभार। सादर—अतुल

Comment by vijay nikore on October 29, 2014 at 3:50pm

रचना अच्छी लगी। बधाई।

Comment by atul kushwah on October 28, 2014 at 5:13pm

आदरणीय सोमेश जी. प्रस्तुति पर समय देने के लिए हार्दिक धन्यवाद.हृदय से आभारी हूँ.. सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
38 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
2 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
21 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service