For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क़दमों को आज भी याद है

आज फिर लड़खड़ाते कदमों से

गिरने की कोशिश की

यह लालच संजोये हुए कि

आप आ जाओगे

फिर से मुझे चलना सिखाने को

मेरी अंगुली पकड़ के

मुझे गिरने नहीं दोगे...

काश आपकी पदचाप फिर सुन पाता,

या काश, मेरे क़दमों को गिरते हुए

आपकी आदत ना होती..

 

साथ थे आप तो पैर अल्हड़ थे

घिसटते कदम थे चाल बेताल थी..

विश्वास था फिर भी ना गिरने का 

 

आज आपकी याद है...

पैर तने हैं, कदम सधे हैं

चाल भी सीधी है

फिर भी डर है कि

आपकी राह को छोड़ कर

कहीं गिर ना जाऊं

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 334

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on September 15, 2014 at 11:40am

पवन कुमार जी, आपका हृदय से धन्यवाद |

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on September 15, 2014 at 11:40am

आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी, रचना का यही भाव है, जब किसी बड़े का साथ रहता है तो कोई परवाह नहीं होती... मेरे पिता को समर्पित की है यह रचना मैनें| आपका हार्दिक आभार

Comment by Pawan Kumar on September 14, 2014 at 3:12pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति भईया ... सादर बधाई !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2014 at 3:07pm

जब तलक साथ है एक और एक ग्यारह है | संभालना आसान है | जब हो गए अकेले तो स्वयम की छाया से भी लगता डर है |

यही भाव लिए साथ को याद करती सुंदर रचना के लिए बधाई 

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on September 14, 2014 at 11:18am

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, आपका हार्दिक आभार|

Comment by Shyam Narain Verma on September 13, 2014 at 10:09am
" बहुत  ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .. बधाई  "

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
4 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
13 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service