For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौत का सघन  साया

अनुभूति बनकर आया

मेरे अंतिम क्षणों में I

*

यह आत्मीयता प्रदर्शन

करुणा  का कलित क्रंदन

चीत्कार आर्त्त रोदन

या नाट्य  अभिनय मंचन

.

इसे देख जी में आया 

छोडूं न अभी काया

मेरे अंतिम क्षणों में I

*

सर्वांग व्यथित परिजन

सूने उदास से मन

इतना असीम कम्पन

तब था न  जब था जीवन

.

यह मोह है या माया

कुछ कुछ समझ में आया

मेरे अंतिम क्षणों में I

*

वक्रोक्ति व्यंग्य दंशन 

हासोपहास लांछन

सहता रहा था जो मन

क्या यही प्रकृत जीवन ?

.

कोई न जान पाया

प्रभु ने मुझे जगाया

मेरे अंतिम  क्षणों में I

 

(मौलिक व अप्रकाशित )

 

 

Views: 702

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 6:12pm

आदरणीय  महिमाश्री जी

आपके प्रोत्साहन का सादर आभार i

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 6:10pm

राम शिरोमणि जी

आभारी हूँ वत्स i  सस्नेह i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 6:09pm

करुण जी

आपका आशीर्वाद मिला i आभारी हूँ i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 6:08pm

लडीवाला जी

आप के प्रोत्साहन का आभार i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 6:07pm

आदरणीय ' आकुल ' जी

अनुग्रहीत हूँ श्रीमन i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 6:06pm

विजय सर

आपका आभार i  सादर i

Comment by vijay nikore on September 10, 2014 at 11:29pm

इतनी सुन्दर रचना ! बहुत कुछ सोचने को दे गई है। हार्दिक बधाई, आदरणीय गोपाल नारायन जी।

Comment by MAHIMA SHREE on September 10, 2014 at 10:56pm

 जीवन के अंतिम क्षण   को दार्शनिक अंदाज में पिरोया  है इस नवगीत में हार्दिक बधाई आदरणीय गोपाल नारायण जी 

Comment by ram shiromani pathak on September 10, 2014 at 8:42pm
सुन्दर भाव्भिव्यक्ति आदरणीय गोपाल नारायण जी।। हार्दिक बधाई आपको
Comment by Santlal Karun on September 10, 2014 at 6:49pm

आदरणीय डॉ. श्रीवास्तव जी,

अत्यंत प्रभावशाली नवगीत -- जीवन, म्रत्यु तथा अंतिम क्षणों के त्रि-आयामी दर्शन की सघनता लिये हुए --

"सर्वांग व्यथित परिजन

सूने उदास से मन

इतना असीम कम्पन

तब था न  जब था जीवन

.

यह मोह है या माया

कुछ कुछ समझ में आया

मेरे अंतिम क्षणों में I"

...हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !"

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
7 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
15 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
15 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service