For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पृथ्वी की धुरी के इशारों पर

यूं तो नाचता है समय...

विस्मृत क्षण हो गए धूमिल

कई दिनों से गुम था समय...

कितने ही वर्षों से ढूंढता

पूछता था जिससे वो कहता

“मेरे पास तो नहीं है समय...”

समय को खोजते खोजते

अपने प्रियजनों के हृदय की

सीमा को भी लांघ गया...

कहीं भी ना मिला समय....

हार के लौटा घर में,

आश्चर्यचकित फिर हुआ मैं !!

समय तो मेरी मुट्ठी में सिकुड़ा था

मेरे परिवार के हर सदस्य से

मिलने को आतुर था – मेरा समय ||

 

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 569

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on September 7, 2014 at 6:30pm

आदरणीय संतलाल जी करुन साहब

आपका हृदय से शुक्रिया, आपने इन पंक्तियों को पसंद किया, यही बहुत बड़ी बात है|

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on September 7, 2014 at 6:29pm

आदरणीय गिरिराज जी भंडारी आपका तहे दिल से धन्यवाद|

Comment by Santlal Karun on September 1, 2014 at 5:20pm

आदरणीय चंद्रेश जी,

आप ने  समय के ज्ञान-परिज्ञान पर अच्छी-सी बोधात्मक कविता दी है -- 

"समय तो मेरी मुट्ठी में सिकुड़ा था

मेरे परिवार के हर सदस्य से

मिलने को आतुर था – मेरा समय ||"

...हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 1, 2014 at 4:46pm

लाजवाब ! बहुत खूबसूरती से आपने अपनी बात कही , जो सबकी भी बात है , हार्दिक बधाइयाँ , आदरणीय चंद्रेश जी |

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on August 31, 2014 at 10:59pm
आदरणीय जितेन्द्र जी,

आपका हृदय से शुक्रिया, आपने इन पंक्तियों को पसंद किया, यही बहुत बड़ी बात है|
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 31, 2014 at 12:08pm

हार के लौटा घर में,

आश्चर्यचकित फिर हुआ मैं !!

समय तो मेरी मुट्ठी में सिकुड़ा था

मेरे परिवार के हर सदस्य से

मिलने को आतुर था – मेरा समय ||.......बहुत ही प्रभावी पंक्तियाँ , बधाई आपको चंद्रेश जी

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on August 30, 2014 at 11:33am

आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण जी, अति सुंदर विश्लेषण किया है आपने| कविता लिखते समय यही विचार दिल में थे| आपकी इस खूबी की जितनी प्रशंसा की जाये कम है| आपका हार्दिक धन्यवाद |

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on August 30, 2014 at 11:31am

आदरणीय महिमा श्री जी, आपकी प्रशंसा के लिए  हृदय से धन्यवाद

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on August 30, 2014 at 11:31am

आदरणीय पवन कुमार जी, हार्दिक आभार, आपकी प्रशंसा के लिए 

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on August 30, 2014 at 11:30am

आदरणीय नरेन्द्रसिंह जी, आपका हृदय से धन्यवाद |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service