For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ताप प्रचण्ड
उफनाई नदियाँ
तपता भादों |

पथिक भूला
अंतर्मन व्यथित
तिमिर घना |

पथ ना सूझे
पिए नित गरल
कंठ भुजंग |

अल्हड़ नदी
मदमस्त लहरें
नईया डोले |

भजन राम
बसे छवि मन में
नित निहारू |

मनमोहिनी
चंदा सा मुख देख
खुशी मन में |
 
मीना पाठक 
मौलिक /अप्रकाशित 

Views: 662

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on August 26, 2014 at 6:55pm

आदरणीया प्राची जी मुझे जरा भी मालूम नही था कि हायकू में भी तुकांतता का निर्वहन हो सकता है , अगली बार जरूर प्रयास करूँगी | हायकू सराहने के लिए दिल से आभार स्वीकारें | सादर

Comment by Meena Pathak on August 26, 2014 at 6:52pm

आदरणीय गिरिराज जी हायकू सराहने हेतु सादर आभार स्वीकारें

Comment by Meena Pathak on August 26, 2014 at 6:51pm

प्रिय महिमा स्नेहिल आभार

Comment by Meena Pathak on August 26, 2014 at 6:51pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी आप के स्नेह से अभिभूत हूँ आशा करती हूँ ये स्नेह हमेशा मिलता रहेगा | सादर आभार स्वीकारें

Comment by Meena Pathak on August 26, 2014 at 6:49pm

आदरणीया सरिता जी बहुत बहुत आभार स्वीकारें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 26, 2014 at 9:53am

बहुत खूबसूरत हायकू कहे हैं आ० मीना पाठक जी 

इस गंभीर प्रयास पर मेरी हार्दिक बधाई... हायकू प्रयास में यदि पहली और तीसरी पंक्ति में तुकांतता का निर्वहन भी हो तो शिल्प में चार चाँद लग जाते हैं.... अगले हायकू प्रयास में इसे भी समाहित करके देखिएगा 

शुभकामनाएं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 25, 2014 at 8:37pm

आदरणीया मीना जी , सुन्दर हाइकू के लिए बधाई |

Comment by MAHIMA SHREE on August 25, 2014 at 7:58pm

पथिक भूला 
अंतर्मन व्यथित 
तिमिर घना |

पथ ना सूझे 
पिए नित गरल
कंठ भुजंग |

अल्हड़ नदी 
मदमस्त लहरें
नईया डोले |..... बहुत बढ़िया हायकु आदरणीय मीना दी अभूत -२ बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 25, 2014 at 5:16pm

पथिक भूला 
अंतर्मन व्यथित 
तिमिर घना |-----बहुत सुन्दर 

अल्हड़ नदी 
मदमस्त लहरें
नईया डोले |---क्या बात 

भजन राम -----राम भजन कर लें तो कैसा रहे 
बसे छवि मन में 
नित निहारू |----भक्तिमय ...मन में बस गया 

सभी हाइकु बहुत सुन्दर हैं बधाई स्वीकारें प्रिय मीना जी .

Comment by Sarita Bhatia on August 25, 2014 at 1:48pm

बहुत सुंदर ,बधाई मीना जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बहुत अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ा रहा हूँ , आपने खूब उन्नति की है …"
53 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
12 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
12 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service