For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उन्मीदों से भी ज़्यादा, बहुत ज़्यादा मिल गया है

उन्मीदों से भी ज़्यादा, बहुत ज़्यादा मिल गया है
ख्वाहिशों का मेरी बे-नूर चेहरा खिल गया है

वो दौलतमंद है इक सिक्के की क़ीमत मालूम क्या उसको
कि इक सिक्के में  इस बच्चे का बस्ता सिल गया है

ना चप्पल पाव में न सर पे कोई टोपी भी थी उसके
सुबह इस ठंड में जो बच्चा मज़ूरी को निकल गया है

मुफ़लिसी से नहीं अपनी अमीरी से बहुत लाचार था
वो बदन नंगे जो चौराहे पे , बुत में ढल गया है

वो सवारी बैठाने से पहले ही , किराया बोल देता है
हालात बदले ना बदले उसके , मगर लहज़ा बदल गया है

.

मौलिक अप्रकाशित
अजय कुमार शर्मा

Views: 499

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 7, 2014 at 10:42pm

भाई अजयजी, आप पुराने सदस्य हैं. ग़ज़लनुमा लिखने की ललक कइयों को ग़ज़ल की विधा पर मेहनत करने से रोकती है.

इस मंच पर आदरणीय तिलकराज कपूरजी तथा भाई वीनसजी ने ग़ज़ल विधा से सम्बन्धित कई लेख बहुत मेहनत से साझा किये हैं. आप लाभ लें तो हम पाठकों का भी भला हो. 

शुभेच्छाएँ

Comment by ajay sharma on August 7, 2014 at 10:34pm

adarniya gurujano......pranam ....bahut dino ke baad obo pe aaya ......bahar aur metre .....ki samajh nahi hai ....kriypa mardarshan kare...jo kush man me aaya ....kisi swaroop me aa gaya .....kshama prarthi hoo yadi koi galti hui hai....to.......

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 7, 2014 at 7:06pm

आदरणीय अजय जी ..भाव बहुत अच्छे लगे लेकिन मैं भी आदरणीय गिरिराज भाईसाब के मशविरे पर ध्यान देने के लिए कहूँगा ..सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 6, 2014 at 8:40am

आदरणीय अजय भाई , रचना के विचार , भाव अच्छे लगे , बधाई आपको । आ. सौरभ भाई जी से मै भी सहमत हूँ , बह्र या शिल्प समझ नही आया ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 5, 2014 at 7:18pm

जो कुछ आपने कहा इसमें संवेदना है. शिल्प आप बता दें कि यह क्या है ? 

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 5, 2014 at 2:38pm
बहुत सुन्दर , बधाई ।
Comment by savitamishra on August 5, 2014 at 9:59am

बहुत सुन्दर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
20 hours ago
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service