For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : भुट्टे वाली (गणेश जी बागी)

            "भुट्टे ले लो, हरे ताजे भुट्टे ले लो !" हर रोज सुबह-सुबह मैले कुचैले कपडे पहने, सर पर टोकरी लिए भुट्टे वाली कॉलोनी में आ जाती थी, मैं तो उसकी आवाज़ से ही जगता था ।

                    आज सुबह किसी की तेज डाँटने की आवाज़ सुनकर बालकोनी में चला आया, भुट्टे वाली महिला को मेरे पडोसी सिंह साहब डाटे जा रहे थे।

                   "कमबख्त सुबह सुबह चिल्ला कर नींद हराम कर देती है, चैन से सोने भी नहीं देती, अगर कल से इस कॉलोनी में चिल्लाई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा"

                    भुट्टे वाली के आँखों में आँसू थे, जाते-जाते केवल यही कह पायी, "बाबूजी माफ़ कर दीजिये, लेकिन का करूँ, अगर न चिल्लाऊं तो मेरे बच्चे चैन से नहीं सो पायेंगे ।"

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : खोटा सिक्का

Views: 1151

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 21, 2014 at 9:38pm

प्रिय वैद्यनाथ सारथी जी, लघुकथा पर आपकी टिप्पणी उत्साहवर्धन करती है, आभार आपका।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 21, 2014 at 9:35pm

लघुकथा आपको अच्छी लगी,लेखन कर्म सार्थक हुआ आदरणीया वेदिका जी, आभार व्यक्त करता हूँ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 21, 2014 at 9:20pm

उन्हें तो बस चैन से, देर तक सोना है किसी दूसरे की बेचैनी से क्या फर्क पड़ता है. बहुत अच्छी लघुकथा आदरणीय बागी जी, आपको बहुत-२ बधाई

Comment by कल्पना रामानी on July 21, 2014 at 9:15pm

उत्कृष्ट लघुकथा के लिए आपको दिली बधाइयाँ आदरणीय बागी जी

Comment by Saarthi Baidyanath on July 21, 2014 at 8:53pm

अद्भुत सृजन ! एक आम दृश्य, आपकी लेखनी के स्याही से गुजरकर विशेष प्रतीत हो रही है ! साधुवाद मान्यवर ...! सादर नमन :)

Comment by वेदिका on July 21, 2014 at 8:28pm
अपने तथा कथित सुख के लिए दूसरों का जीवन का आधार भी क्या दांव पर लगा सकता है कोई .....??????
दैनिक जीवन से अनमोल मोती चुरा कर आपने ह्रदय द्रवित कथा प्रस्तुत की।
बधाई आदरणीय बागी जी!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
32 minutes ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
38 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
6 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
18 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
18 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
19 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service