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ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुमनाम पिथौरागढ़ी

१२२२   १२२२   १२२२    १२२२ 

 

मिलो गर ज़िन्दगी से तुम कोई फ़रियाद मत करना

बिठाना बैठना हँस  लेना दिल  नाशाद  मत करना

 

रखो दिल  काबू में  पहली नज़र के प्यार में यारो

जमाना कहता खुद को कैस ओ फरहाद मत करना

 

किताबें मजहबी रहने दो इन अलमारियों में बंद

मिलो जो आदमी से पोथियों को याद मत करना

 

सियासत की फरेबी चाल में फंसकर ऐ लोगो तुम

मुहब्बत चैन अमन को तुम कभी बर्बाद मत करना

 

मैं उधड़े जख्मो की तुरपाई में जीवन ये जीता हूँ

मेरे गम से  खुदा  मुझको  कभी आज़ाद मत करना

 

मौलिक व अप्रकाशित

गुमनाम पिथौरागढ़ी

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 17, 2014 at 3:47pm

आदरणीय गुमनाम भाई , आपका अलिफ वस्ल वाला मिसरा सही है , बाक़ी दो मिसरे देख लीजिये गा ॥

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 17, 2014 at 2:20pm

shukriya sir ji aap logo ke disha nirdesh me rahkar likh raha hoon aur yahi sahyog chahta hoon,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 17, 2014 at 2:19pm

बिठाना बै1222ठना हँस  ले1222ना दिल नाशा1222द  मत करना 1222

2- मुहब्बत चै1222न अमन को तुम1222 कभी बर्बा1222द मत करना1222मुहब्बत चैन+मन [चैनमन]को तुम कभी बर्बाद मत करना

3- मैं उधड़े जख्1222मो की तुरपा1222ई में जीवन सा1222रा जीता हूँ1222


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 17, 2014 at 2:04pm

आदरणीय गुमनाम भाई , गज़ल बहुत बढ़िया कही है , मेरी दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥

गज़ल पोस्ट करने मे आप कुछ हड़बड़ी कर गये हैं - कुछ मिसरे बेबह्र हो गये हैं -

1-बिठाना बैठना हँस  लेना दिल दिल नाशाद  मत करना 

2- मुहब्बत चैन अमन को तुम कभी बर्बाद मत करना

3- मैं उधड़े जख्मो की तुरपाई में जीवन सारा जीता हूँ

तीनो मिसरों की तकतीअ एक बार और कर लीजिये गा ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 17, 2014 at 12:56pm

वाह लाजवाब आपकी मेहनत रंग ला रही है, आदरणीय गुमनाम भाई बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हार्दिक बधाई  आपको

कृपया ध्यान दे...

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