For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम क्यों खोजते है
सच को
बार बार?
कस्तूरी के
मृग की तरह
वो तो सदा
हमारे बीच
ही रहता है.
हम उसे रोज
देखते है
सुनते हैं
सूंघते हैं
पर अंजान बन
उंघते है.
अगर हमने
मान लिया
हम सच जानते है
तो लोग हमें
झूठा कहेंगे
क्योंकि वो भी

कस्तूरी गंध के
सच को जानते है.

विजय प्रकाश शर्मा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 866

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on July 10, 2014 at 2:24pm

भाव से एकात्म के लिए बहुत आभार आ० प्राची जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 10, 2014 at 2:02pm

प्रेम कसूरी उर बसे...वन उपवन मत भाग 

मृग दृग अन्तः ओर कर ...महक उठेंगे भाग 

बहुत सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय विजय जी 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on July 8, 2014 at 8:22am

आ० सौरभ पाण्डेय जी, मार्गदर्शन के लिए बहुत- बहुत धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 5:50pm

इस विचार समृद्ध रचना के लिए हृदय से बधाई आदरणीय. बहुत ही सधी हुई भाषा में आपने बहुत ही जटिल तथ्य को प्रस्तुत किया है.

टंकण त्रुटियों के प्रति संवेदनशील होना रचना की संप्रेषणीयता के विन्दुवत होने का कारण हुआ करता है, आदरणीय.

सादर

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on July 1, 2014 at 9:23pm

आ० विजय निकोर जी,
अभिनन्दन.
इस स्नेहसिक्त सराहना के लिए कोटि-कोटि आभार.

Comment by vijay nikore on July 1, 2014 at 4:10pm

असली सत्य, परम सत्य, एक ही है, दो नहीं हो सकते।

चिंतनप्रधान रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय विजय जी।

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on July 1, 2014 at 11:00am

आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी,
इस पोस्ट पर आकर रचना की सराहना के लिए आपका बहुत बहुत अभिनन्दन.

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on July 1, 2014 at 10:56am

आदरणीय जित्तेन्द्र जी,
सराहना के लिए आपका बहुत आभार.

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on July 1, 2014 at 10:54am

आदरणीय गिरिराज भाई,
प्रस्तुत रचना की इस सप्रसंग व्याख्या के लिए आपका बहुत-बहुत आभार.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 1, 2014 at 10:29am

आदरणीय , सच असल मे तलाशता ही कौन है , हम सब तलाशते हैं सहुलियत से प्राप्त होने वाली खुशियाँ । जो जिस सीमा तक  अपने अन्दर के सच को जानता है बाहर की सहुलियत से प्राप्त होने वाली नकली खुशियों से उसी सीमा तक दूर हो जाता है । खुद को खोदना आसान काम नही है , खुद का सच सरलता से पाया नही जाता । बस यही चल रहा है ! चिंतन के लिये बधाइयाँ ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service