For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज मैंने छूट्टी दे दी है...

आज मैंने छूट्टी दे दी है - 
अनगिनत दुखों को, बेचैनियों को 
ज़िंदगी के अभावों और अनुभवों को 
सगे-संबंधी के रिश्तों की गठरी को 
अपने नाम - शोहरत के बोज को भी 
जगमगाहट भरी भौतिकता की लाईट बंद
अपने नियमों - आग्रहों से दु:खी होनेवाले को 
अपने साथी-संगाथियों से हुई अनबन को 
जिनके लिए काम किए, नहीं हुए - उनको 
मुझसे आशा-अपेक्षा रखने वालों को 
मैंने जिन पर जाने-अनजाने किए प्रहारों को 
मैंने झेलें हुए है उन ज़ख्मों और देने वालों को 
बारबार मेरे हाथ में उठते उस दर्द को और 
पलपल रिधमेटिक धड़कन के सूर बहाते
उस दिल को पवन देने वाली साँसों के मधुर 
संगीत में लीन होकर अपने आप में लिन होने 
मेरी मन:स्थिति को स्थिर करने में 
इसी सूर से चैतन्य के चरम में विलीन होता हुआ 
‘मैं’ को पिघलता रहूँ... खो जाऊं अनंत में... 
*

(मौलिक व अप्रकाशित)
- पंकज त्रिवेदी 
27 June 2014 
*

Views: 515

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Trivedi on March 31, 2015 at 11:05pm

डॉ. प्राची जी,  आपने सही कहा... कई बार विचारों का प्रवाह इतना प्रबल होता है कि त्रुटियाँ रह जाती है... मगर आप जैसे विद्वान रचना के भाव प्रवाह को समझ लेते हैं यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है . धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 8, 2014 at 4:24pm

स्थूल से सूक्ष्म की ओर बढ़ती अभिव्यक्ति..... 

इन सबको छुट्टी दिए बिना क्या विलय संभव भी है... या फिर जैसे जैसे ये विलय होता है स्थूल स्वयं ही लुप्त होता सा जाता है..

बहुत खूबसूरत मनोदशा को अभिव्यक्त किया है आदरणीय पंकज त्रिवेदी जी. बहुत बहुत बधाई 

आप जिस धुन में इस भाव प्रवाह को लिख गए हैं..उसके चलते काफी टंकण त्रुटियाँ रह गयी है रचना में...उन्हें एक बार पुनः अवलोकन कर अवश्य ही सही कर लें ..निवेदन है 

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 4:12am

आपकी कविताओं का मूल स्वर सदा से संघर्षप्रिय रहा हैं. तभी स्थूल से सूक्ष्म की ओर आपकी यात्रा सदा सधी रही है. स्थूल को साधना दिशा विलगन ही होगा. हार्दिक बधाई, श्रद्धेय.

Comment by Pankaj Trivedi on July 5, 2014 at 9:54pm

मित्र श्री अरुण शर्मा जी 'अनंत', श्री लक्ष्मण  धामी जी और आदरणीय राजेश कुमारी जी... आप सभी से सहमत हूँ... जीवन में कुछ अनुभव और वक्त की ताकत हमें कहीं न कहीं सपाट ज़िंदगी में मोड़ दे देती है ... धन्यवाद्  

Comment by Pankaj Trivedi on July 5, 2014 at 9:52pm

प्रिय भाई जितेन्द्र 'गीत',

मैं सहमत... आपका आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 1, 2014 at 9:54am

भौतिकवाद से अध्यात्मवाद तक का सफ़र ऐसे ही शुरू होता होगा शायद ,बहुत ही उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ...बधाई आपको पंकज जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 1, 2014 at 9:26am

......... वाह क्या कहने पंकज भाई  कोटि कोटि बधाई ।

Comment by बृजेश नीरज on June 30, 2014 at 11:45pm
बहुत सुन्दर सारगर्भित रचना। आपको हार्दिक बधाई।
Comment by अरुन 'अनन्त' on June 30, 2014 at 5:37pm

बहुत सुन्दर रचना आदरणीय बधाई स्वीकारें.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 29, 2014 at 9:30am

इस भौतिकता से लबालब भरे जीवन में कभी-कभी ऐसा समय आता है की छुट्टी रखना ही पड़ता है, बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय पंकज जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
9 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
11 hours ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीया रक्षिता जी,  आपकी इस कविता में प्रदता शीर्षक की भावना निस्संदेह उभर कर आयी…"
13 hours ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक शेर की विषय - वस्तु…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी "
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service