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“देखो नेहा वो अभी भी घूर रहा है” झूमू ने नेहा का हाथ पकड़े-पकड़े हर की पौढ़ी पर  गंगा में डुबकी लगाते हुए कहा|”बहुत बेशर्म है अभी भी बैठा है इसको पता नहीं किस से पाला  पड़ा है, इसका मजनू पना अभी उतारते हैं शोर मचाकर” उसको थप्पड़ दिखाती हुई नेहा आस पास के लोगों को उकसाने लगी|

इसी बीच में न जाने कब झूमू का हाथ छूट गया और वो तीव्र बहाव में बहने लगी|छपाक!!!!! आवाज आई और कुछ ही देर में वो युवक झूमू को बचाकर बाहर निकाल लाया|

थोड़ी दूर  खड़ा एक पुलिस वाला भी आ गया और  “बोला इन साहब का शुक्रिया अदा करो ये इंटरनेश्नल स्वीमर चेम्पियन स्वप्निल झा जी  हैं जो हरिद्वार घूमने आये हुए हैं  और  निःस्वार्थ एक हफ्ते  से लोगों की हेल्प कर रहे हैं न जाने कितने डूबते हुए  लोगों को बचा चुके हैं”

अपलक देखती नेहा को वो युवक  बोला “ मैडम अपनी आँखों से  ये चश्मा उतारिये जो सिर्फ एक ही रंग देखता है  दुनिया में और भी रंग हैं” !!!!  

मौलिक और अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 7, 2014 at 9:37am

हाहाहा .....सही कहा आप बीती तो नहीं आँखों देखी कह सकते हैं |आ० सौरभ जी ,जीवन में कई पल ऐसे आते हैं जो हमारे ऊपर बीतते हैं या आस पास जिनसे कुछ लिखने की प्रेरणा मिलती है ,कुछ एसा ही बहुत पहले देखा था सो उसी को संज्ञान में लेकर लिख दिया |हार्दिक आभार आपका |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 1:39am

यह तो आपबीती है न आपकी ! आँखों देखी से बढिया विन्दु पकड़ा है आपने आदरणीया.

बधाई हो..

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 30, 2014 at 8:57pm

ब्रिजेश जी आपको कथा अच्छी लगी बहुत- बहुत आभारी हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 30, 2014 at 8:56pm

प्रिय प्राची जी ,लघु कथा में निहित सन्देश ने आपको प्रभावित किया बहुत- बहुत शुक्रिया ये लघु कथा सार्थक हुई |

Comment by बृजेश नीरज on June 30, 2014 at 8:19pm
अच्छी कथा है। आपको बधाई आदरणीया।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 30, 2014 at 7:39pm

बहुत ही खूबसूरत सन्देश आपकी लघुकथा का आदरणीया राजेश जी

एक ही चश्मे से सबको नहीं देखा जा सकता....बहुत सुन्दर 

हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 27, 2014 at 10:58pm

अपनी इस लघु कथा पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया दोनों मेरे लिये बहुत  महत्व पूर्ण है|आपके  मशविरे  का सदा स्वागत है जरूर प्रयास करुँगी |आपका हार्दिक आभार आ० योगराज जी 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 26, 2014 at 11:34am

रचना का सन्देश तो काफी हद तक स्पष्ट है आ० राजेश कुमारी जी, लेकिन मेरी दृष्टि में अभी यह रचना अभी कथानक के स्तर तक ही पहुंची है. इसे पूर्ण लघुकथा बनाने के लिए अभी बहुत ज़्यादा काट-छील की ज़रुरत है. थोड़े से प्रयास से इस कथानक के इर्द-गिर्द बहुत ही प्यारी सी लघुकथा बन सकती है, और मैं जानता हूँ कि आप यह करने में समर्थ भी हैं. (बधाई इस रचना के लघुकथा बनने के बाद दूँगा)        


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 24, 2014 at 9:43pm

आ० डॉ विजय शंकर जी ,लघुकथा का अनुमोदन करने के लिए हार्दिक आभार ,आपने सच कहा लाइफ गार्ड पोस्ट ऐसी जगह पर अवश्य होनी चाहिए ,आये दिन अखबारों में ऐसी घटनाएं पढने को मिल रही हैं इन्ही से प्रेरित होकर ये लघुकथा लिखी गई ,बहुत- बहुत शुक्रिया 

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 24, 2014 at 7:57pm
आ o सुश्री राजेश कुमारी जी , कहानी अच्छी है बधाई .
एक अलग सन्देश यह भी देती है कि जहां लोग इतने बड़े पैमाने पर नदियों में स्नान करते हैं वहां लाइफ गार्ड पोस्ट बनाई जानी चाहिए और स्नान के समय पर तैराक गार्ड रहने चाहिए . ध्यानाकर्षण के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .

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