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माँ है तेरी प्रार्थना ,माँ ही बनी अजान
माँ ही तेरा है खुदा माँ तेरा भगवान |


गीता कुरान में मिले रामायण में वास
माँ की ममता से सदा बढ़ता है विश्वास |


माँ की पूजा तुम करो माँ है खुदा समान
मंदिर मस्जिद ढूंडता घर बैठा भगवान |


मंदिर मस्जिद माँ बनी माँ बनी गुरूद्वार
चढ़ता जो इस नाव पे उतरेगा वो पार |


माँ समझे तेरी ख़ुशी माँ ही समझे पीर
माँ के नैनों से बहे केवल ममता नीर |


बच्चे होते हैं सबल जो माँ का हो साथ
मिलता मनचाहा अगर सिर पर माँ का हाथ |


माँ मूरत भगवान की इसका सुंदर रूप
माँ है छाया पेड़ सी लगने ना दे धूप |

....................................................

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Sarita Bhatia on May 15, 2014 at 1:46pm

आदरणीय जवाहर जी शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on May 15, 2014 at 1:46pm

आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी हार्दिक आभार 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 15, 2014 at 9:06am
माँ का गुणगान करते दोहे रचने के लिए बधाई आदरणीया
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 14, 2014 at 5:40pm

बहुत ही सुन्दर दोहावली आदरणीया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 14, 2014 at 5:05pm

आपने दूसरे दोहे के पहले चरण कुरान शब्द का इस्तेमाल किया है जिसका मात्रा क्रम है 121 इस तरह जगण बन रहा है जो दोहे के विषम चरणों में निषिद्ध है। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 14, 2014 at 11:25am

माँ मूरत भगवान की इसका सुंदर रूप
माँ है छाया पेड़ सी लगने ना दे धूप...... क्या खूब कहा आदरणीय सरिता बहन . हार्दिक बधाई .

Comment by Sarita Bhatia on May 14, 2014 at 10:00am

आदरणीय जितेन्द्र भाई शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on May 14, 2014 at 9:59am

आदरणीय भाई शिज्जू जी मार्गदर्शन के लिए शुक्रिया ,पर मैं आपका आशय समझ नहीं पाई कृपया बताएं कहाँ गलती हुई है 

Comment by Sarita Bhatia on May 14, 2014 at 9:58am

आदरणीय मीना जी हार्दिक आभार ..

Comment by Sarita Bhatia on May 14, 2014 at 9:58am

आदरणीय कुंती दीदी शुक्रिया 

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