For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसका साया ……

किसका साया ……

किसका साया मुझे जीने कि सज़ा देता है
कफ़स में आरज़ू की .रूह को क़ज़ा देता है

पेशानी पे बहारों की .अलम लिखने वाली
कौन मेरी आँखों को नमी की क़बा देता है

थी जब तलक साथ तो ज़िंदगी हसीन थी
अब दर्दे हिज़्र मुझे .हर लम्हा रुला देता है

मेरे ख्वाबों के शबिस्तानों में ..रह्ने वाली
बेवफा लौ मेँ पतंगा .खुद को जला देता है

बेवजह मेरे अश्कों की ..वज़ह बनने वाली
कौन मुझे कफ़न मेँ साँसों की दुआ देता है

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 622

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on May 29, 2014 at 2:30pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी रचना पर आपकी आत्मीय  प्रशंसात्मक अभिव्यक्ति  का हार्दिक आभार।  बस लिखते लिखते रचना ग़ज़ल के रूप बन गयी हालांकि ये बह्र नियमों का निर्वाह नहीं कर रही। अनुरोध है की इसे एक रचना के रूप में लेकर आनंद लें। आपके सुझाव और समीक्षा सदैव मेरे लिए पथप्रदर्शक रही है। इस हेतु आपका हार्दिक आभार। नेट व्यवधान के कारण आभार व्यक्त करने में विलम्ब के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 23, 2014 at 1:28am

आपकी सहभागिता और इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.

बधाई और शुभकामनाएँ ..

अच्छा किया आपने इसे ग़ज़ल नहीं कहा. फिर इस प्रस्तुति को ऐसी शैली की बाध्यता क्यों दी आपने ? पाठक-मन ग़ज़ल के शिल्प को ढूँढता हुआ अक्सर विकल होने लगता है. या, मुझसे ही इस प्रस्तुति के शिल्प को समझने में भूल हुई हो तो क्षमा करेंगे.

विश्वास है, आप मेरे कहे को अन्यथा नहीं लेंगे.

सादर

Comment by Sushil Sarna on May 15, 2014 at 4:20pm

आदरणीय अरुन शर्मा  जी   रचना पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का  हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on May 15, 2014 at 4:19pm

आदरणीय मीना पाठक जी   रचना पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का  हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on May 15, 2014 at 4:18pm

आदरणीय जितेन्द्र जी  रचना पर आपकी स्नेहिल अभिव्यक्ति  का  हार्दिक आभार 

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 12, 2014 at 12:46pm

आदरणीय सुशील जी बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 12, 2014 at 8:29am

आदरणीय शुशील जी, हार्दिक बधाई आपको इस बेहतरीन गजल पर

Comment by Meena Pathak on May 11, 2014 at 2:20pm

बेहतरीन गज़ल ... बधाई आदरणीय | सादर 

Comment by Sushil Sarna on May 9, 2014 at 7:18pm

रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार शिज्जू शकूर ज़ी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 7, 2014 at 9:53pm

आदरणीय सुशील सर अच्छी रचना है बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service