For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बस्ती में कोई बच्चा नहीं देखा - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

1222 1222 1222 1222

***

सियासत पूछ मत तुझमें पतन क्या-क्या नहीं देखा

बहुत  खुदगर्ज  देखे  हैं  मगर  तुझ  सा  नहीं  देखा

**

महज  कुर्सी को  दुश्मन से  करे तू लाख  समझौते

चरित तुझ सा  किसी का भी  यहाँ गिरता नहीं देखा

**

सपन में भी दिखा करती मुझे तो बस सियासत ही

सियासत से  मगर कच्चा  कोई  रिश्ता  नहीं  देखा

**

बराबर  बाटते   देखी   मुहब्बत  भी   समानों  सी

बड़ा-छोटा  करे  माँ  प्यार  का  हिस्सा  नहीं  देखा

**

डपटता भी  अगर है  तो  सुधर  जा की  नसीहत से

खुदा की  आँख  में  मैंने  कभी  गुस्सा  नहीं   देखा

**

ये जो  जम्हूरियत  कहते  लुटेरों  का  तमाशा  अब

यहाँ  मालिक  कहाता  जो  भला उसका  नहीं देखा

**

सुना  है  कल  सियासतदाँ चले  आए थे बस्ती में

‘मुसाफिर’ आज  बस्ती में  कोई बच्चा  नहीं देखा

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 708

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 1, 2014 at 1:29am

बहुत खूब भाईजी. 

हार्दिक शुभकामनाएँ .. .

Comment by Sachin Dev on April 11, 2014 at 12:54pm

आदरणीय लच्छ्मन धामी जी, एक बेहतरीन गजल के लिए हार्दिक बधाई आपको ! 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 11, 2014 at 10:46am

आदरणीय भं अन्नपूर्णा जी , आपकी प्रतिक्रिया और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 11, 2014 at 10:45am

आदरणीय भूवन भाई  ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए दिली धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 11, 2014 at 10:42am

भाई विशाल जी ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 11, 2014 at 10:41am

भाई गिरिराज जी , आपको असआर पसंद आये यह मेरे लिए हर्ष का विषय है . मार्गदर्शन करते रहिये . हार्दिक धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 11, 2014 at 10:38am

आदरणीय राजेश बहन , आपकी दाद से असीमित ख़ुशी मिली .कमियों के बारे भी अवगत करते रहें . हार्दिक धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 11, 2014 at 10:36am

भाई कृष्णा सिंह जी, ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए आभार . वह शब्द 'समानों ' ही है जो सामानों के सन्दर्भ में ही प्रयोग हुआ है .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 11, 2014 at 10:31am

आदरणीय भाई जीतेन्द्र जी , ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया से मन हर्षित हुआ . हार्दिक धन्यवाद .

Comment by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 10:29pm

बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  ______ जगमग दीपों वाला उत्सव,उत्साहित बाजार। जेब सोच में पड़ी हुई है,कैसे पाऊँ…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ  चौपाई औ’ दोहा की है, मिली जुली यह ठाठ  विषम…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
18 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Oct 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Oct 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Oct 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Oct 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service