For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विजय – पराजय

 

वह जो मैंने सपने मे देखा

सोने की गाय

कुतुबमीनार पर घास चर रही थी , और –

नीचे ज़मीन पर बैठा कोई ,

सूखी रोटियाँ तोड़ रहा था ।

अचानक कुतुब झुकने लगा

मुझे ऐसा लगा, जैसे -

वह झुक कर स्थिर हो जाएगा

पीसा के मीनार की तरह

और बनेगा

संसार का आठवाँ आश्चर्य ।

पर, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ

वह धराशायी हो गया

गाय कहाँ गयी , कुतुब कहाँ गया

कह नहीं सकता

किन्तु सूखी रोटियों के टुकड़ों की

आकाश से वर्षा हो रही थी

यह मैंने साफ देखा था ।

 

----- मौलिक और अप्रकाशित -----   

           

Views: 481

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 3, 2014 at 4:12pm

बहुत खूब, बहुत खूब !!!

आदरणीय ब्रह्मचारीजी, अभी तक की आपकी प्रस्तुत हुई समस्त रचनाओं में यह रचना सबसे अलग, व्यवस्थित, सार्थक इंगितों से समृद्ध रचना है. इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई तथा असीम शुभकामनाएँ, आदरणीय. 

सादर

Comment by S. C. Brahmachari on April 1, 2014 at 1:33pm
प्रिय डॉ0 मुखर्जी ,
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया पर मैं स्वयं भी आनंदित हुआ । आभार स्वीकारें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on March 31, 2014 at 2:29am
बहुत आनंद आया ब्रह्मचारी जी आपकी यह रचना पढ़कर.
Comment by S. C. Brahmachari on March 30, 2014 at 8:32pm
आ0 विजय निकोर जी,
बधाई हेतु आपका हार्दिक आभार !
Comment by S. C. Brahmachari on March 30, 2014 at 8:29pm
श्री अरुण शर्मा जी
दिल से की गयी रचना की प्रशंसा के लिए मै दिल से आभार व्यक्त करता हूँ ।
Comment by S. C. Brahmachari on March 30, 2014 at 8:25pm
आ0 राजेश कुमारी जी ,
रचना की प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक आभार ! संभवतया त्रुटिवश आपने आ0 विजय जी को अपनी प्रतिक्रिया दी है !
Comment by vijay nikore on March 30, 2014 at 5:48am
बहुत सुन्दर कटाक्ष। बधाई।
Comment by अरुन 'अनन्त' on March 28, 2014 at 11:26am

वाह बहुत ही प्रभावशाली सशक्त रचना, दो भिन्न परिस्थितिओं को कम शब्दों में बहुत ही सटीक ढंग से प्रस्तुत किया है आपने. आपको दिल से बधाइयाँ प्रेषित करता हूँ स्वीकार करें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 28, 2014 at 10:32am

अद्दभुत कल्पना और उसके पीछे जबरदस्त कटाक्ष .....सूखी रोटियाँ ही तो बची हैं इस देश में ...न सोने की गाय रही न सोन चिरैया 

रचना में देश की भावी  सूरत परिलक्षित होती है ...बहुत खूब ...आ० विजय जी,बधाई आपको.   

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
7 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
10 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
10 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
10 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
10 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service