For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चुन गुण्डे संसद गये, करते हैं उत्पात।
लोकतंत्र के माथ पर, यह कलंक की बात॥
यह कलंक की बात, लात घूँसा चलता है।
मिर्च पाउडर फेंक, नोंच माइक देता है॥
देना हमें जवाब, आज गुण्डों को सुन।
भेजें सज्जन लोग, देश हित में हम चुन॥

भारत के इतिहास में, है काला अध्याय।
संसद में फेंका गया, जूता चप्पल हाय॥
जूता चप्पल हाय, नहीं क्यों उनको मारे।
चुनकर नमक हराम, गये संसद जो सारे॥
करते हैं खिलवाड़, तनिक न आये लज्जत।
पापी पामर नीच, कलंकित करता भारत॥

संसद की गरिमा घटी, घटा देश का मान।
लुटा ठगा लगने लगा, आज आम इंसान॥
आज आम इंसान, परिस्थिति का मारा है।
किंकर्तव्यविमूढ़, नहीं कोई चारा है॥
नेता दुर्गुण खान, कलंकित करते महिमा।
घटा देश का मान, घटी संसद की गरिमा॥

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 500

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 5, 2014 at 12:39am

संभवतः ज़ल्दबाज़ी में यह प्रस्तुति हुई है. सुझावों और सलाहों पर ध्यान दें.

शुभेच्छाएँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 21, 2014 at 7:39pm

समसामयिक घटनाक्रम पर बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है प्रिय भाई विन्ध्येश्वरी जी 

मेरी दिली बधाई प्रस्तुत है..

चुन गुण्डे संसद गये, करते हैं उत्पात।
लोकतंत्र के माथ पर, यह कलंक की बात॥
यह कलंक की बात, लात घूँसा चलता है।
मिर्च पाउडर फेंक, नोंच माइक देता है॥..............चलता और देता का तुक मिलान ..यह कुछ और साधना होगा 
देना हमें जवाब, आज गुण्डों को सुन।
भेजें सज्जन लोग, देश हित में हम चुन॥.........रेखांकित अंश की मात्रा देखें 

भारत के इतिहास में, है काला अध्याय।
संसद में फेंका गया, जूता चप्पल हाय॥..............या फेंके गए , जूते चप्पल हाय 
जूता चप्पल हाय, नहीं क्यों उनको मारे।
चुनकर नमक हराम, गये संसद जो सारे॥
करते हैं खिलवाड़, तनिक न आये लज्जत।
पापी पामर नीच, कलंकित करता भारत॥...........करता या करते 

संसद की गरिमा घटी, घटा देश का मान।
लुटा ठगा लगने लगा, आज आम इंसान॥
आज आम इंसान, परिस्थिति का मारा है।
किंकर्तव्यविमूढ़, नहीं कोई चारा है॥......................किंकर्तव्यविमूढ़ का बहुत सुन्दर प्रयोग ..वाह !
नेता दुर्गुण खान, कलंकित करते महिमा।
घटा देश का मान, घटी संसद की गरिमा॥

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 18, 2014 at 3:50pm

बहुत ही सुंदर आदरणीय, समसमायिक घटनाओ पर अच्छा प्रहार किया है, बधाई

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 16, 2014 at 10:08pm

आदरणीय!

सच की सुन्दर अभिव्यक्ति..........................परन्तु दोष हमारा भी तो है आखिर उन्हें हम ही लोग तो चुनते हैं...............बहरहाल आपको बधाई................

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 16, 2014 at 3:24pm

आदरनीय बिन्धेश्वरीजी ..बहुत ही सुंदर कुंडलियाँ ..वाकई ऐसे घटनाओं से देश का हर नागरिक शर्मशार ही होता अहै ..एक बारप पुनः बधाई के साथ ..सादर 

Comment by Meena Pathak on February 15, 2014 at 8:07pm

बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ .. बधाई आप को आ० विन्ध्येश्वरी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 15, 2014 at 5:08pm

आदरणीय विंध्येश्वरी जी ताज़ा घटनाओं पर प्रस्तुत तीनों कुण्डलिया शिल्प व कहन दोनों दृष्टि से प्रभावी हैं बहुत बहुत बधाई आपको।
सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
6 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
9 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
30 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
33 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
10 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service