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गुल के बदले में मुझे बस खारों की माला मिली

२१२२        २१२२       २२२२     २१२

ला ल ला ला    ला ल ला ला   ला ला ला ला    ला ल ला 

भेदने जब तम फलक का रवि आमादा हो गया

चाँद पीकर चांदनी अपनी ही नभ में खो गया 

हाथ हम रखते रहे जलते अंगारों पर यूं ही 

एक फरिस्ता जिन्दगी में ख्वाबे गुल ही बो गया 

बज्म में वो गीत गाये झूमे पीकर मस्त हो 

और नन्हा लाल घर पे रोके भूखा सो गया 

घिर के नफरत में जहाँ की सूझा जब कुछ भी नहीं 

चौखटों पे मंदिरों की नन्हा बचपन रो गया 

कोठरी में जब गए काजल की काले हो गए

पर मेरा ईमान या रब  सारी कालिख धो गया 

गुल के बदले में मुझे बस खारों की माला मिली 

पर खुदा माला में मेरी चंपा जूही पो गया 

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 13, 2014 at 4:55pm

आदरणीय अरुण जी, राम शिरोमणि जी , अखिलेश जी , गिरिराज भाईसाब , रमेश जी ..आप सभी के इस स्नेहमयी प्रोत्साहन के लिए तहे दिल धन्यवाद ....बस आप सब का मार्गदर्शन यूं ही मिलता रहे इसी कामना  के साथ ..सादर 

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 10, 2014 at 8:09pm

सुगढ रचना शिल्प एवं प्रगाढ भावों से युक्त इस गजल पर आदरणीय आपको ढेरो बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 10, 2014 at 5:39pm

आदरणीय आशुतोष भाई , बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ ॥

बज्म में वो गीत गाये झूमे पीकर मस्त हो 

और नन्हा लाल घर पे रोके भूखा सो गया  - इस शे र के लिये विशेष तौर पर बधाई ॥

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 10, 2014 at 4:54pm

आदरणीय आशुतोष भाई ,

आपकी इस रचना के भाव पक्ष मजबूत व शिक्षाप्रद है , मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by ram shiromani pathak on February 10, 2014 at 2:10pm

आदरणीय आशुतोष जी,बहुत सुन्दर गज़ल  बधाई आपको ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 11:50am

वाह वाह आदरणीय आशुतोष जी बेहद उम्दा शानदार ग़ज़ल कही है आपने पूरी ग़ज़ल पर बधाई इन दो अशआरों पर विशेष दाद कुबूल फरमाएं.

बज्म में वो गीत गाये झूमे पीकर मस्त हो 

और नन्हा लाल घर पे रोके भूखा सो गया

कोठरी में जब गए काजल की काले हो गए

पर मेरा ईमान या रब  सारी कालिख धो गया

Comment by Meena Pathak on February 8, 2014 at 12:09pm

बहुत सुन्दर गज़ल ... बधाई आदरणीय आशुतोष जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 7, 2014 at 1:05pm

आदरणीय लक्ष्मण जी हौसला अफजाई के लिए तहे दिल धन्यवाद //सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on February 7, 2014 at 10:49am
बहुत बढ़िया गजल बधाई आपको । 
Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 7, 2014 at 10:47am

आदरणीया कुंती जी. आपके उत्साहवर्धक शब्दों के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर

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