For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौत आती है पर मरते-मरते

कोई कैसे सुने दास्ताँ मेरी

खुद को भूल जाते सुनते-सुनते.

 

वो भी साथ होते मेरे लेकिन

पांव थक जाते हैं चलते-चलते.

 

याद आती मुझे जब कभी उसकी

आँसू बहाते हैं चुपके-चुपके.

 

दिल बहुत चाहता आज हँसने को

आँख भर आती है हँसते-हँसते.

 

मर गये होते चाहत में उसके

मौत आती है पर मरते-मरते.

 

(मौलिक व अप्रकाशित )

अनिल कुमार 'अलीन'

Views: 690

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 18, 2014 at 6:17pm

आदरणीया!

............................आपका हार्दिक आभार!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 18, 2014 at 2:41pm

सीखने की चाहत या जुनून है तो सीख जायेंगे यूँ ही लिखते लिखते ....बहुत सुन्दर प्रयास है कोशिश कीजिये विश्वास है इसी ग़ज़ल को एक दिन आप बेहतरीन बना कर पेश करेंगे शुभकामनायें हाँ इस प्रयास पर मेरी बधाई आपको 

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 16, 2014 at 9:30pm

आप सभी आदरणीय जनों का हार्दिक आभार!

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 16, 2014 at 9:29pm

आदरणीय आशुतोष जी यह मुझ द्वारा कोई प्रयास था ही नहीं और न ही मैं लिखा हूँ...............बस यह लिख गया है..............इस सिलसिले में जल्द ही प्रयास करने की कोशिश करूँगा............आपका सुझाव बहुमूल्य है और इस पर अमल शुरू कर दिया हूँ............आपका हार्दिक आभार!

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 16, 2014 at 9:26pm

आदरणीय बृजेश जी,

ग़ज़ल लिखने का बहुत सुख है किन्तु अभी तक लिखा नहीं बल्कि जो कुछ है यह बस लिख गया है.............जल्द ही ग़ज़ल विधा को सीखकर आपकी सेवा में एक ग़ज़ल प्रेषित करूँगा............फिर आपकी बधाई भी स्वीकार करूँगा..............आशा करता हूँ आपका मार्गदर्शन और आशीर्वाद  सदैव मिलता रहेगा ......... हार्दिक आभार!

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 16, 2014 at 9:21pm

आदरणीय लक्ष्मण जी सही फरमाया आपने...............बदलाव कर दिया हूँ किन्तु प्रदशित नहीं हो रहा ..............आपका हार्दिक आभार!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 8, 2014 at 12:45pm

आदरणीय आपके इस प्रयास पर आपको तहे दिल बधाई /// मैं अभी खुद सीख रहा हूँ इसलिए बिशेस जानकारी तो नहीं है पर अभी आपकी यह रचना ग़ज़ल के दर्जे में नहीं आती है ..ग़ज़ल केकुछ नियम है ..आदरणीय वीनस जी ने ग़ज़ल की बातें एवं आदरणीय तिलक जी ने ग़ज़ल की कक्षा के माध्यम से बहुत कुछ सिखाने का प्रयास किया हिया //आप उक्त दोनों से जुड़े और तमाम जानकारी प्रपत्र करें ..हार्दिक शुभकामनाओं के साथ ..सादर 

Comment by बृजेश नीरज on February 8, 2014 at 11:43am

अच्छी ग़ज़ल है! इस प्रयास के लिए आपको हार्दिक बधाई!

कहन पर काम करने की जरूरत है!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 7, 2014 at 5:57am

आदरणीय भाई अनिल जी गजल के भाव अच्छे हैं . अगर

आँसू बहाते हैं कि बजाय 'अश्क बह जाते हैं'

करते तो मेरे हिसाब से जड़ा बेहतर लगता .वैसे प्रबुद्ध जनों कि प्रतिक्रिया का इंतजार करें .हार्दिक बधाई

Comment by coontee mukerji on February 6, 2014 at 10:30pm

मर गये होते चाहत में उसके

मौत आती है पर मरते-मरते..........बहुत खूब.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service