For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता (कल्पना मिश्रा बाजपेई)

बाबुल,मेरा मन आज भयो जैसे पाखी

जो मैं होती बाबा तेरे घर गौरैया

नित आंगन तेरे आती

जो मैं होती बाबा तेरी खरक की गैया 

नित खरक में दर्शन तेरे पाती

जो मैं होती बाबा तेरे द्वार निमरिया

नित शीतल छाँव बिछाती

जो मैं होती बाबा तेरे सिर का साफा

नित धूप से तुम्हें बचाती

जो मैं बाबा शगुन चिरैया

नित मीठे गीत सुनाती

मेरा मन आज भयो जैसे पाखी

मैं तो भई बाबा बेमन बिटिया

दूर देश जाके ब्याही 

मन ही मन उकलाती

नित अखियन नीर बहाती

मेरो मन आज भयो जैसे पाखी

कल्पना मिश्रा बाजपेई

(मौलिक और अप्रकाशित) 

Views: 704

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kalpna mishra bajpai on February 23, 2014 at 10:14am

आप सब गुणी जनों की हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया ........।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 5, 2014 at 5:07pm

बिटिया चिरैया सी दूर देश जा...बाबा के आँगन को स्वप्न में ही अपना पाती है 

सुन्दर मर्मस्पर्शी भाव रचना के 

हार्दिक बधाई 

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 5, 2014 at 9:24am

भावनाओं की मार्मिक अभिव्यक्ति.....................

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 4, 2014 at 11:28pm

बेटी की भावनाओं को बहुत सुन्दरता से संजोया है आपने, हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 4, 2014 at 6:46pm

आदरणीया कल्पना जी , एक बेटी जी आंतरिक भावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई , आपको बधाई ॥

Comment by kalpna mishra bajpai on February 4, 2014 at 1:59pm
आप सब का बहुत-बहुत आभार।
Comment by Anita Maurya on February 4, 2014 at 1:19pm

बहुत ही सुन्दर रचना कल्पना जी , आँखें नम हो गयीं।  

Comment by Meena Pathak on February 4, 2014 at 1:09pm

कल्पना जी आप की रचना पढ़ कर मन और आँखे दोनों भीग गयीं , बहुत बहुत बधाई और तहेदिल से स्वागत 

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 4, 2014 at 11:45am

एक बेटी की भावनाओ की सुन्दर, सहज एवं सरल अभिव्यक्ति ................बहुत ही अच्छा लगा................

Comment by coontee mukerji on February 4, 2014 at 3:06am

कल्पना जी....आपका स्वागत है. बहुत  सुंदर रचना है. हार्दिक बधाई. सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service