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दुनिया में जितना पानी है

उसमें

आदमी के पसीने का योगदान है

 

गंध भी होती है पसीने में

 

हाथ की लकीरों की तरह

हर व्यक्ति अलग होता है गंध में

फिर भी उस गंध में

एक अंश समान होता है

जिसे सूँघकर

आदमी को पहचान लेता है

जानवर

 

धीरे-धीरे कम हो रही है

यह गंध

कम हो रहा है पसीना

और धरती पर पानी भी  

-  बृजेश नीरज 

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by बृजेश नीरज on January 29, 2014 at 10:55am

आदरणीय निकोर साहब आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on January 29, 2014 at 10:55am

आदरणीया मंजरी जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 29, 2014 at 10:14am

सच! वर्तमान में इन्सान, कर्तव्य के बिना ही अधिकार पाना चाहता है परिश्रम और पसीने का मोल उसे नही पता

बहुत गहन व् मन को छू जाने वाली रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय बृजेश जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 29, 2014 at 9:12am

बिना श्रम के तो पानी भी नसीब नहीं ...पसीना और पानी को केन्द्रित कर बहुत गहन मर्म को लेकर रची रचना के लिए ढेरों बधाई ...बहुत सुन्दर बात कही है 

Comment by vijay nikore on January 29, 2014 at 2:36am

इस अच्छी रचना के लिए बधाई।

Comment by mrs manjari pandey on January 27, 2014 at 10:26pm

       

     आदमीयत की बात अच्छे तरीके से की है आदरणीय बृजेश जी । बधाई स्वीकारें ।

Comment by बृजेश नीरज on January 27, 2014 at 9:54pm

आदरणीय श्याम नारायण जी, लक्ष्मण धामी जी, गिरिराज जी, नीरज कुमार जी, आदरणीया मीना जी, अन्नपूर्णा जी, वंदना जी आप सभी का हार्दिक आभार! रचना को आपका अनुमोदन मेरा उत्साहवर्धन कर रहा है!

सादर!

Comment by Vindu Babu on January 27, 2014 at 9:36pm

गंध...सुन्दर चित्रण किया है आदरणीय।

टैगोर जी 

ने व्यक्ति विशेष की विशेष गंध की याद से गहन आत्मीयता को दर्शाया है।

कम शब्दों में गहन प्रस्तुति करने के लिए बधाई।

सादर

Comment by Neeraj Neer on January 27, 2014 at 8:57pm

धीरे धीरे कम हो रहा है पसीना और धरती पर पानी भी , बहुत खूब .. जब पसीना बहाने वाले लोग नहीं रहेंगे , धरा भी नहीं रहेगी .. बहुत बधाई , सुन्दर रचना के लिए ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 27, 2014 at 6:57pm

आदरणीय बृजेश भाई , सच मे इंसानो मे इंसानियत अब खत्म होते जा रही है । सुन्दर रचना के लिये बधाइयाँ ॥

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