For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मगर फिर चार दिन की ये जवानी कौन देता है...

पहले मौत दे, फिर जिंदगानी कौन देता है
मुकम्मल हो सके ऐसी कहानी कौन देता है,

यहां तालाब और नदियां कई बरसों से सूखी हैं
खुदा जाने कि पीने को ये पानी कौन देता है,

हमें तो जिंदगी ठहरी हुई इक झील लगती है
मगर हर वक्त दरिया को रवानी कौन देता है,

जमीं से आसमां तक का सफर हम कर चुके लेकिन
नहीं मालूम मंजिल की निशानी कौन देता है,

परिंदे जानते हैं ये कि पर कटने का खतरा है
इन्हें फिर हौसला ये आसमानी कौन देता है,

अतुल ये जानता हूं कि बुढापा आएगा इक दिन
मगर फिर चार दिन की ये जवानी कौन देता है।।

 — अतुल कुशवाह

- मौलिक व अप्रकाशित

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by atul kushwah on February 4, 2014 at 11:57pm

आ.कूंटी जी, अरुण जी, कल्पना जी, राहुल देव जी, डॉ.प्राची जी और लक्ष्मण धामी जी...आप सबकी प्रेरक प्रतिक्रियाओं के लिए आप सबका बहुत सारा आभार और शुक्रिया। और आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर, आपने जो मार्गदर्शन कराया है, उसे मैं अब हमेशा ध्यान रखूंगा और काव्य लेखन को व्याकरण के अनुरूप ही ढालने की कोशिश करूंगा।
सादर
अतुल

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 24, 2014 at 5:53am

आदरणीय अतुल भाई एक अच्छी ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई

परिंदे जानते हैं ये कि पर कटने का खतरा है
इन्हें फिर हौसला ये आसमानी कौन देता है,.............बहुत  खूब


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 24, 2014 at 3:09am

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ यनि मुफ़ाईलुन की चार आवृतियों पर कही इस ग़ज़ल के मतले के साथ क्या कर दिया है आपने ?

या अनायास ही अशार के मिसरे हजज के अनुसार सध गये हैं ?

मक्ते में भी परेशानी हुई है.  उला का कि गलत है/

शुभेच्छाएँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 23, 2014 at 12:15pm

परिंदे जानते हैं ये कि पर कटने का खतरा है
इन्हें फिर हौसला ये आसमानी कौन देता है,.........हौसलों की इस उड़ान को मेरी बहुत बहुत बधाई 

Comment by कल्पना रामानी on January 20, 2014 at 6:36pm

हर शेर लाजवाब! बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय अतुल जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 20, 2014 at 4:07pm

अतुल भाई बेहद सुन्दर ग़ज़ल सभी शेर अच्छे लगे पसंद आये वीनस भाई जी जिस ओर इशारा किया है उसे देख लें.  मेरी ओर से बधाई स्वीकारें.

Comment by coontee mukerji on January 20, 2014 at 3:39pm

बहुत सुंदर....गज़लों के सहारे आने बहुत कुछ कहा है. हार्दिक बधाई.

Comment by atul kushwah on January 20, 2014 at 3:19am
Adarneey Venus ji...is nadan koshish ko aapki sarahna mili...ye badi baat hai...sujhav aur margdarshan satat chahta hu....sadar-Atul
Comment by वीनस केसरी on January 20, 2014 at 2:52am

परिंदे जानते हैं ये कि पर कटने का खतरा है
इन्हें फिर हौसला ये आसमानी कौन देता है .... शानदार शेर कहा है .. हासिले ग़ज़ल है

मतला और मक्ता पर बहर के एतबार से नज़ारे सानी फरमाएं

Comment by vandana on January 19, 2014 at 7:48am

हमें तो जिंदगी ठहरी हुई इक झील लगती है
मगर हर वक्त दरिया को रवानी कौन देता है,

जमीं से आसमां तक का सफर हम कर चुके लेकिन
नहीं मालूम मंजिल की निशानी कौन देता है,

परिंदे जानते हैं ये कि पर कटने का खतरा है
इन्हें फिर हौसला ये आसमानी कौन देता है,

बहुत बढ़िया आदरणीय अतुल जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
11 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
51 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service