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राजनीति की शतरंज में

पैदल बिल्कुल सीधा चलता है

किंतु उसे केवल तिरछा मारने का अधिकार होता है

पैदल को रोकने के लिए उसके सामने एक पैदल लगा देना काफ़ी होता है

इसलिये पैदल संख्या में सबसे ज्यादा होते हुये भी

सबसे कमजोर मोहरा माना जाता है

 

कोई पैदल अगर बचते बचाते विपक्षी के घर में घुस जाय

और सारे राज जान ले

तो उसे फौरन मार दिया जाता है

या फिर वो जो बनना चाहे बना दिया जाता है

 

ऊँट बेचारा जो वास्तव में हमेशा सीधा चलता है

उसे तिरछा चलना और तिरछा मारना सिखा दिया जाता है

 

हाथी को सिखा दिया जाता है दाएँ बाएँ चलना

और जो भी रास्ते में आए उसे कुचल देना

 

राजनीति की शतरंज में

सबसे खतरनाक घोड़ा होता है

क्योंकि घोड़े को सिखाया जाता है कूद कूद कर मारना

इसके लिए घोड़े को दिया जाता है विशेषाधिकार

ढाई घर चलने का

 

विपक्षी वजीर जैसे ही कुछ करने की कोशिश करता है

घोड़े को बाहर निकाला जाता है

और बेचारा वजीर या तो डर के मारे वापस लौट जाता है

या चुपचाप जहाँ है वहीं पड़ा रहता है

 

राजनीति की शतरंज के मँझे हुए खिलाड़ी

घोड़े का सही इस्तेमाल करना जानते हैं

 

राजनीति की शतरंज में

राजा को बचाने के लिए सभी मोहरे बारी बारी अपना बलिदान देते हैं

लेकिन राजा कभी नहीं मरता

उसकी केवल मात होती है

और वो फिर से खेलने लगता है

अगली बार जीतने के लिए

-----------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by अरुन 'अनन्त' on January 4, 2014 at 5:59pm

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई जी जिस तरह से आपने शतरंज को ध्यान में रख कर ये रचना रची है वह काबिले तारीफ है यथार्थ दर्शाती रचना हेतु बहुत बहतु बधाई स्वीकारें.

Comment by vandana on January 4, 2014 at 5:40am

"पैदल बिल्कुल सीधा चलता है

किंतु उसे केवल तिरछा मारने का अधिकार होता है

पैदल को रोकने के लिए उसके सामने एक पैदल लगा देना काफ़ी होता है

इसलिये पैदल संख्या में सबसे ज्यादा होते हुये भी

सबसे कमजोर मोहरा माना जाता है............... " 

सच है राजतंत्र हो या लोकतंत्र आम आदमी की यही स्थिति रहती है और घोड़ा ढाई घर चलने का अधिकार लेकर भी राजा के समान विशेषाधिकार नहीं पाता 

समाज की व्यवस्था ,राजनीति का बहुत बढ़िया चित्रण शतरंज के खेल के माध्यम से ....बहुत बहुत बधाई आदरणीय  

Comment by S. C. Brahmachari on January 3, 2014 at 9:30pm
खूब जमाई है शतरंज आपने .... क्या खूब कहा है ....राजा कभी नहीं मरता, उसकी केवल मात होती है, और वो फिर से खेलने लगता है। ~~~~~ किन्तु पैदल जब खड़ा हो जाता है तो वह नए इतिहास की रचना करता नज़र आता है । शतरंज के मोहरों की राजनीतिक चालों का अच्छा चित्रण किया है आपने ..... बधाई !
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 3, 2014 at 8:20pm

वाह वाह वाह,,,,आदरणीय,,,,,क्या कमाल की शतरंज ,,,,बस आनन्द आ गया,,,,,,राजनीति का बिल्कुल सही चित्रण किया है आपने,,,आपको इस हेतु,,,,,नमन,,,,,और बहुत बहुत बधाई


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Comment by गिरिराज भंडारी on January 3, 2014 at 6:00pm

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , शतरंज और राजनीति का बहुत खूबसूरती से ताल मेल बिठाया है आपने , आप पनी बात कहने मे पूर्ण रूप से सफल रहे हैं !! रचना के लिये आपको बहुत बधाई ॥

Comment by coontee mukerji on January 3, 2014 at 4:32pm

राजनीति की शतरंज में

पैदल बिल्कुल सीधा चलता है

किंतु उसे केवल तिरछा मारने का अधिकार होता है

पैदल को रोकने के लिए उसके सामने एक पैदल लगा देना काफ़ी होता है

इसलिये पैदल संख्या में सबसे ज्यादा होते हुये भी

सबसे कमजोर मोहरा माना जाता है..........बहुत खूब लिखे हैं आदरणीय. बहुत बहुत बधाई.सादर

 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 3, 2014 at 3:11pm

शतरंज के खेल में मोहरों की चाल  और राजनीति के  शतरंजी खेल में शह और मात की  तुलना बड़ी चतुराई से की है, हार्दिक बधाई धर्मेंद्र भाई ॥  शतरंज के खेल  में प्यादा मंत्री बन सकता है लेकिन राजनीति के  शतरंज में चाल गलत हुई तो मंत्री / राजा की स्थिति प्यादे से भी बद्तर हो जाती है और भ्रष्ट चाल से  जेल की हवा भी खानी पड़ती  है। नव वर्ष की शुभ कामनाओं  के साथ सप्रेम राधे- राधे ॥

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