For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहर ... २२२ २२२ २२ 

वो जब से सरकार हुए हैं

सब कितने लाचार हुए हैं

जन सेवा अब नाम ठगी का

सपनोँ के व्यापार हुए हैं

धोखे देते बन के साधू

ऐसे ठेकेदार हुए हैं

मज़हब के भी नाम पे देखो

कितने अत्याचार हुए हैं

जो थे अब तक झुक कर चलते

वो अबकी खुददार हुए हैं

 

मौलिक  एवं अप्रकाशित 

Views: 906

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Madan Mohan saxena on December 3, 2014 at 3:17pm

जन सेवा अब नाम ठगी का
सपनोँ के व्यापार हुए हैं

धोखे देते बन के साधू
ऐसे ठेकेदार हुए हैं
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी बेह्तरीन अभिव्यक्ति !शुभकामनायें.

Comment by नादिर ख़ान on December 31, 2013 at 11:24pm

जन सेवा अब नाम ठगी का

सपनोँ के व्यापार हुए हैं

मज़हब के भी नाम पे देखो

कितने अत्याचार हुए हैं

आदरणीया महिमा जी, बहुत खूब कहा आपने और अपने ही अंदाज़ मे ....लाजवाब ।

आपको नये साल की अग्रिम शुभकामनायें ।

Comment by MAHIMA SHREE on December 29, 2013 at 8:07pm

जरुर :))))))आदरणीय बृजेश जी वैसे भी सर्दियों में गुड़ खाना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है  ...:)))

आपका हार्दिक आभार. सादर

Comment by बृजेश नीरज on December 27, 2013 at 8:25pm

//बस काली मिर्ची से ही काम चलाना पड़ा//

मैं भविष्य के लिए सचेत हो गया! आगे से गुड़ लेकर बैठूँगा! :))))))))))))))):

लाजवाब ग़ज़ल हुई है! आपको ढेरों बधाई!

Comment by MAHIMA SHREE on December 27, 2013 at 7:19pm

आदरणीय सौरभ सर , नमस्कार .. ओबिओ का सीखने सिखाने का वातावरण.. और उस पर  आप गुरुजनों का हर विधा पर जोर  ... विद्यार्थी कितना भी जिद्दी हो तब भी उसके दिमाग में बैठा ही दिया जाता है ..दूसरी विधाओं पर भी हाथ आजमाओ भाई .. :))))

आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा थी ... सच कहूँ तो अतुकांत में आदत है जी भर के कडवाहट निकलने  की (करेले के जूस में लाल मिर्ची   :))))).. पर गज़ल  में तो कसमसा कर रह  गयी   बस काली मिर्ची से ही काम चलाना पड़ा :))))) 

 

बरहाल हर नवोदित को ओबिओ पर आपके विस्तृत सूक्ष् विश्लेषण की प्रतीक्षा रहती है ...आपकी प्रतिक्रिया ने आसमान पर पहुँचा दिया ... आदरणीय .. मन प्रसन्न है ..प्रयास सार्थक हुआ .. आशीर्वाद देते रहें .. सादर

 

Comment by MAHIMA SHREE on December 27, 2013 at 7:03pm

आदरणीय ब्रह्मचारी सर .. आपका आशीर्वाद मिला आभारी हूँ  .. स्नेह बनाये रखे सादर ..

Comment by MAHIMA SHREE on December 27, 2013 at 7:02pm

प्रिय रामशिरोमणि जी .. गज़ल की सराहना के लिए आपका  बहुत -२ आभार ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 27, 2013 at 4:02pm

आपसे ग़ज़ल सुनकर ही चौंक गया. तिसपर ग़ज़ल की ये रवानी, उसके ये तेवर ! महिमा श्री, आपके कई शेर बस कालीमिर्च की बुकनी जैसे हुए हैं, जिसकी तनिक रुक कर मगर देर तक तासीर बनी रहती हैं. यह ग़ज़ल तो बस क़ामयाब हो गयी !
बधाई.. बधाई.. बहुत खूब !

Comment by S. C. Brahmachari on December 26, 2013 at 11:06pm
मजहब के भी नाम पे देखो
कितने अत्याचार हुए हैं ............ उत्तम अभिव्यक्ति , उत्कृष्ट गजल ! नव वर्ष मे आपके महिमा की श्री वृद्धि होती रहे !
Comment by ram shiromani pathak on December 26, 2013 at 10:10pm

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल आदरणीया महिमा जी। …  हार्दिक बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
24 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
35 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service