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"अश्क गजलों से भी तो झरते हैं"

प्यार जिससे भी आप करते है
जिसकी खातिर सदा संवरते हैं

ख़्वाब में सामने भी आये तो
कुछ भी कहने में आप डरते हैं

जितना ज्यादा हैं सोचते उनको
वैसे वैसे ही वो निखरते हैं

इस सियासत के दांव पेंचों में
कितने मासूम हैं जो मरते हैं

आशिकी का यही उसूल रहा,
करती नजरें है आप भरते हैं

आँख रोने को जरूरी तो नही
अश्क गजलों से भी तो झरते हैं

अनुराग सिंह "ऋषी"

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by बृजेश नीरज on December 27, 2013 at 10:20am

अच्छा प्रयास है! भाई, बहर का जिक्र कर दिया करें! इस अभिव्यक्ति के लिए बधाई!

Comment by Anurag Singh "rishi" on December 26, 2013 at 12:28pm

परम आदरणीय डॉ. साहब हौसला आफजाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद स्नेहाशीष मिलता रहेगा ऐसी कामना करता हूँ
सादर नमन

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 26, 2013 at 11:15am

बड़ा ही शानदार मक्ता है i ग़ज़ल के लिया बधाई i

Comment by Anurag Singh "rishi" on December 26, 2013 at 9:08am

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ह्रदय से आभार आपका स्नेह बनाये रखें
सादर

Comment by Anurag Singh "rishi" on December 26, 2013 at 9:07am

आदरणीया महिमा श्री जी बहुत बहुत धन्यवाद आपको
सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 26, 2013 at 6:26am

आदरणीय अनुराग भाई  बधाई

आँख रोने को जरूरी तो नही 
अश्क गजलों से भी तो झरते हैं .. बहुत ही बढिया

Comment by MAHIMA SHREE on December 25, 2013 at 9:52pm

आँख रोने को जरूरी तो नही 
अश्क गजलों से भी तो झरते हैं .. बहुत ही बढिया आदरणीय अनुराग जी बधाई आपको ..

Comment by Anurag Singh "rishi" on December 25, 2013 at 9:31pm

आदरणीया कुन्ती मुखर्जी जी बहुत बहुत आभार आपका
सादर

Comment by coontee mukerji on December 25, 2013 at 9:27pm

आँख रोने को जरूरी तो नही
अश्क गजलों से भी तो झरते हैं..........वाह क्या बात है.

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