For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- मौसम की आसमान में जाहिर हुई खुशी।

ग़ज़ल- 

.

मौसम की आसमान में जाहिर हुई खुशी।

खुश्बू है आम की, और कोयल है कूकती।।

बाहर निकल के घर से जरा खेत में चलें,

फ़सलों की खुश्बुओं से निखरती है जिन्दगी...

सूरज को प्रातः काल नमस्कार कीजिये,

अंधकार वो भगाये है, देता है रोशनी....

है आज मेरी और सितारों की ग़फतगू,

ऐ-चाँद पास आओ जरूरत है आपकी...

बरसों गुजर गये हैं मुलाक़ात भी हुये,

अब भी ख़याल आता है मुझको कभी-कभी...

मौलिक व अप्रकाशित....

Views: 636

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on December 22, 2013 at 9:34pm

अरुन शर्मा 'अनन्त'...आपसे सहयोग चाहिये कि किस प्रकार कथन स्पष्ट नहीं हो रहा है। कृपया कष्ट करें

Comment by सूबे सिंह सुजान on December 10, 2013 at 7:42pm

शिज्जु शकूर,  जी आपका शुक्रिया साहब  ,, आपकी जर्रा नवाज़ी  है।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 10, 2013 at 8:02am

आदरणीय सुजान सर बेहतरीन ग़ज़ल है दाद कुबूल फरमायें

Comment by सूबे सिंह सुजान on December 10, 2013 at 7:01am

Dr Ashutosh Mishraजी आपका ग़ज़ल पढने व बधाई पर तहे दिल से धन्यवाद करता हूँ। आपके आगमन पर खुशी हुई।, 

Comment by सूबे सिंह सुजान on December 10, 2013 at 7:00am

Meena Pathak, जी आपका ग़ज़ल पढने व बधाी पर तहे दिल से धन्यवाद करता हूँ। आपके आगमन पर खुशी हुई।

Comment by सूबे सिंह सुजान on December 10, 2013 at 6:59am

अरुन शर्मा 'अनन्त',  आपकी ओर से विस्तृत टिप्पणी पर आपका बेहद तहे दिल से शुक्रिया

Comment by सूबे सिंह सुजान on December 10, 2013 at 6:58am

 अरुन शर्मा 'अनन्त', जी, आपने इस शेर पर कहा कि कथन स्पष्ट नहीं हो रहा.........लेकिन कथन तो पूरे शेर को पढने पर ही स्पष्ट हो तो क्या बुराी है।

मौसम की आसमान में जाहिर हुई खुशी। भाई जी कथन स्पष्ट नहीं हो रहा है

खुश्बू है आम की, और कोयल है कूकती।।..............मुझे तो यह कथन स्पष्ट लग रहा है , खैर फिर भी अन्य गुरूजनों का विचार क्या हो भी आये तो स्वीकार हो

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 9, 2013 at 2:38pm

आपके इस सुंदर प्रयास के लिए तहे दिल बधाई ..सादर 

Comment by Meena Pathak on December 9, 2013 at 2:35pm

बहुत सुन्दर .. बधाई आप को | सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 1:24pm

आदरणीय सूबे जी आपने कदाचित इस बह्र पर यह ग़ज़ल लिखी है मेरी जानकारी के मुताबिक.

मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन

221 2121 1221 212

मौसम की आसमान में जाहिर हुई खुशी। भाई जी कथन स्पष्ट नहीं हो रहा है

खुश्बू है आम की, और कोयल है कूकती।।

बाहर निकल के घर से जरा खेत में चलें,

फ़सलों की खुश्बुओं से निखरती है जिन्दगी, बढ़िया शेर

सूरज को प्रातः काल नमस्कार कीजिये, प्रातः 22 को आपने 21 गिना है

अंधकार वो भगाये है, देता है रोशनी. अंधकार को अँधकार करने से बह्र दुरुस्त हो जाएगी.

है आज मेरी और सितारों की ग़फतगू, (ग़फतगू या गुफ्तगू)

ऐ-चाँद पास आओ जरूरत है आपकी. बढ़िया शेर

बरसों गुजर गये हैं मुलाक़ात भी हुये,

अब भी ख़याल आता है मुझको कभी-कभी., सुन्दर

ग़ज़ल पर प्रयास हेतु बहुत बहुत बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service