For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"क्या? आपने धूम्रपान छोड़ दिया? ये तो आपने कमाल ही कर दिया।"
"आखिर इतनी पुरानी आदत को एकदम से छोड़ देना कोई मामूली बात तो नहीं।"
"सही कहा आपने, ये तो कभी सिगरेट बुझने ही नही देते थे।"
"जो भी है, इनकी दृढ इच्छा शक्ति की दाद देनी होगी।"
"इस आदत को छुड़वाने का श्रेय आखिर किस को जाता है?"
"भाभी को?"  
"गुरु जी को?"
"नहीं, मेरी रिटायरमेंट को।"उसने ठंडी सांस लेते हुए उत्तर दिया।
.
.
(मौलिक व अप्रकाशित) 

Views: 1848

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 3, 2013 at 12:06pm

धन्यवाद भाई बृजेश नीरज जी


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 3, 2013 at 12:04pm

रचना का मर्म समझने के लिए सादर आभार आ० सरिता भाटिया जी.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 3, 2013 at 12:03pm

भाई राहुल देव जी, इस No comment से आपका क्या तात्पर्य है ? रचना स्तरहीन या घटिया है याकि रचना समझ नही आई? अच्छा होता अगर इस और इशारा किया होता। नहीं तो ऐसी फेसबुकिया टिप्प्णी (No comment) देने में अपने शब्दों को व्यर्थ न ही करते तो बेहतर होता। सप्रेम व सादर अनुरोध है कि टिप्प्णी करते हुए रचनाकार की नहीं तो कम से कम इस मंच की गरिमा का ध्यान तो अवश्य रखा करे।    

Comment by aman kumar on December 3, 2013 at 9:50am

यथार्थ परक कथा ........

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 3, 2013 at 8:45am

सच! इन्सान की कुछ आदतें, समय के परिवर्तित होने पर अचानक बदल जाती है, चाहे उन आदतों के सहारे उसने अपने जीवन का बहुत लम्बा समय व्यतीत किया हो, बहुत सार्थक सन्देश देती लघुकथा पर बधाई स्वीकारें आदरणीय योगराज जी

Comment by वेदिका on December 3, 2013 at 12:02am

वाह! क्या कहना! हार्दिक बधाई आ० योगराज जी!

Comment by ram shiromani pathak on December 2, 2013 at 11:33pm

बहुत ही गहन बात आदरणीय।।।।।।।।।।

Comment by annapurna bajpai on December 2, 2013 at 11:26pm

सही है , रिटायर होने के बाद काफी आदते खुद ब खुद बदल जाती है । आपको हार्दिक बधाई आ0 योगराज जी । 

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on December 2, 2013 at 10:55pm

सुन्दर लघुकथा हेतु कोटिश: बधाई माननीय योगराज सर!! 

Comment by Lata R.Ojha on December 2, 2013 at 8:06pm
Dukhti rag pe haath...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service