For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 वस्ल की उस रात को जमाने गुजर गए

शराब अभी भी वही है बस पैमाने बदल गए

 

शाम की गुल रंग हवा का कुछ ऐसा असर है

लबो पे सजे गम के सब तराने बदल गए  

 

अब कौन संभालेगा कौन गले से लगाएगा

बचपन के वो सब दोस्त पुराने बदल गए

 

अब कौन यहाँ जबान और कुल है देखता

अब तो वो चोहद्दर वो राजघराने बदल गए

 

अब चढ़ते छप्पर को हाथ लगाने कोई नहीं आता

अब तो गाँव के वो सीधे लोग सयाने बदल गए

 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 466

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on November 17, 2013 at 11:45pm

सुन्दर प्रस्तुति भाई जी,बहुत बधाई।  अब तो गाँव के वो सीधे लोग सयाने बदल गए?????यहाँ कथन मुझे स्पस्ट हीं लगा///सादर

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 17, 2013 at 1:56pm

अब तथ्यों को शिल्पगत कथ्य दें.  लेकिन आपसे ऐसा तो अबतक कई बार कहा जा चुका है.

शुभेच्छाएँ

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 1:19pm

आदरणीय अनुराग भाई जी प्रयास अच्छा है मतले में काफिया का निर्वाह नहीं किया है आपने यदि ग़ज़ल है तो काफिया दोष है कृपया पुनः देख लें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 17, 2013 at 11:15am

बदलाव की आंधी को शायराना अंदाज में सुन्दर रचना के माध्यम से कहने के लिए बधाई डॉ अनुराग सैनी जी 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on November 16, 2013 at 4:30pm

आप सभी दोस्तों का शुक्रिया हौंसला अफजाई  के लिए 

Comment by Shyam Narain Verma on November 16, 2013 at 3:45pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..
Comment by Meena Pathak on November 16, 2013 at 12:08pm

बहुत सुन्दर रचना ... आदरणीय अनुराग जी 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 16, 2013 at 11:51am

यकीनन अब गाँव में छप्पर उठाने कोई नहीं आता

और यदि आता भी है तो कहता है पहले मेरा उठाओ

 अवधी के कवि  म्रगेश जी के शब्दों में -----=- अब करो बतकही  बंद बुढऊनू  जुग बदला

Comment by annapurna bajpai on November 16, 2013 at 12:09am

सुंदर रचना !! आ0 डॉ अनुराग सैनी जी । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service