For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीपावली की असीम शुभ कामना (गीतिका)

दीप पावन तुम जलाओ, अंधियारा जो हरे ।
पावन स्नेह ज्योति सबके, हृदय निज दुलार भरे ।
वचन कर्म से पवित्र हो, जीवन पथ नित्य बढ़े ।
लीन हो ध्येय पथ पर, नित्य नव गाथा गढ़े ।

कीजिये कुछ परहित काज, दीन हीन हर्षित हो ।
अश्रु न हो नयन किसी के, दुख दरिद्र ना अब हो ।
सीख दीपक से हम लेवें, हम सभी कैसे जियें ।
मन सभी निर्मल रहे अब, हर्ष अंतर्मन किये ।

शुभ करे लिये शुभ विचार, मानव का मान करे ।
भटक ना जाये मन राह, अधर्म कोई न करे ।
कायम हो शांति जगत में, विश्‍व बंधुत्व अब हो ।
मनुज मन उमंग जगावे, मंगल हर जीवन हो ।

नाना खुशी बरसावे, जगमग करते दीप ।
दीप पर्व की कामना, हर्षित हो मन मीत ।।

....................................
मौलिक अप्रकाशित

Views: 696

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 12:01pm

सुंदर प्रस्तुति है राम भाई जी.... बधाई हो........ लेकिन आ0 बृजेश जी से पूर्णत: सहमत हूँ मैं भी.... गीतिका का तात्पर्य बताने का कष्ट करें.....

Comment by Sachin Dev on November 6, 2013 at 6:50pm

एक अच्छी रचना पर हार्दिक बधाई भाई रमेश कुमार चौहान जी ... ! 

Comment by बृजेश नीरज on November 6, 2013 at 5:14pm

बहुत अच्छा प्रयास है! आपको हार्दिक बधाई!

भाई जी, आपने 'गीतिका' लिखा है, मैं इसका मतलब नहीं समझ सका. क्या ये रचना गीतिका छंद में है?

यदि छंद है तो गीतिका छंद का शिल्प होता है- २१२२, २१२२, २१२२, २१२ 

आपकी रचना इसे तुष्ट नहीं कर रही है. कहीं कहीं चूक हो गयी है. कृपया देख लें!

यदि ये छंद नहीं है तो 'गीतिका' क्या है, इस पर प्रकाश डालें!

सादर!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 6, 2013 at 2:00pm

आदरणीय भाई जी बहुत ही नेक विचार हैं बहुत ही सुन्दर मनोकामना की है है आपने बहुत बहुत बधाई

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 5, 2013 at 9:54am

दीपावाली की हार्दिक शुभकामनाए श्री रमेश चौहान जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 5, 2013 at 9:53am

आपको सुंदर कामनाओं की रचना पर हार्दिक बधाई व् दीपावली की मंगल शुभकामनायें

Comment by Abhinav Arun on November 5, 2013 at 4:56am

सुन्दर कामनाएं ...हार्दिक बधाई और साधुवाद आदरणीय !!

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 4, 2013 at 1:50pm

आपको भी दीवाली की शुभकामना के साथ गीतिका की बधाई।

Comment by coontee mukerji on November 4, 2013 at 1:49pm

शुभ करे लिये शुभ विचार, मानव का मान करे ।
भटक ना जाये मन राह, अधर्म कोई न करे ।
कायम हो शांति जगत में, विश्‍व बंधुत्व अब हो ।
मनुज मन उमंग जगावे, मंगल हर जीवन हो ।...........इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है.

शुभकामनाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 3, 2013 at 6:29pm

!!!!!!!!!!!!!!! लाजवाब !!!!!!!!!!!!! , आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभ कामनायें !!!!!!!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service