For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बलाये आसमानी में ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

1222       1222        1222     1222

 

कभी फूलों मे कलियों में, कभी झरनों के पानी में

मुझे महसूस तू होता, हवाओं की रवानी में

कभी बेकस की आहों में ,निगाहे बेबसी में भी 

कभी खोजा किया तुझको, किसी गमगीं कहानी में

मुदावा मेरी लग्ज़िश का, मेरी कोशिश का तू हासिल

मेरी मुस्कान में तू है, तू है दर्दे निहानी में 

खयालों मे तेरा कब्ज़ा, मेरी अनुभूति में तारी

मेरी हर गुफ़्तगू तुझसे, तू मेरी बेज़ुबानी में

तू पोशीदा, अयाँ भी तू ,दुआ भी तू, करम भी तू

तू रूहानी अक़ीदत है ,मेरी इस ज़िन्दगानी में

तू हाज़िर है, जो हर लम्हा खुली या बन्द आँखें हो

मै खुशियाँ ढूँढ लूंगा अब, बलाये आसमानी में 

******************************************************************************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 1012

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2013 at 10:22pm

आदरणीय सुशील भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!!

Comment by Sushil.Joshi on October 29, 2013 at 9:42pm

बहुत सुंदर गज़ल कही है आ0 गिरिराज जी... बहुत बहुत बधाई हो इस प्रस्तुति के लिए....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2013 at 5:07pm

आदरणीय विजय मिश्र भाई , गज़ल पर आपका आना और ऐसा उत्साह वर्धन करना , सच ! मेरे लिये बहुत बड़ी खुशी का कारण है !

!!!!उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2013 at 4:56pm

आदरणीय राम शिरोमणी भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2013 at 4:50pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई,  गज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ !!!!

Comment by विजय मिश्र on October 29, 2013 at 3:48pm
क्या अन्दाजेबयानी है ,बहुत खूबसूरत तरजीह पेश कियी है ,मैं भी आपकी हौसलाअफजाई करता हूँ . बहुत खूब गिरिराजजी
Comment by ram shiromani pathak on October 29, 2013 at 11:22am

खयालों मे तेरा कब्ज़ा, मेरी अनुभूति में तारी

मेरी हर गुफ़्तगू तुझसे, तू मेरी बेज़ुबानी में///वाह 

आदरणीय गिरिराज  जी  ,इस बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल के  लिए बहुत बहुत बधाई///सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 29, 2013 at 11:04am

आदरणीय गिरिराज जी, खुबसूरत गजल पर , बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2013 at 9:25am

आदरणीय बड़े भाई  विजय जी , गज़ल को अपना आशीर्वाद देने ने लिये आपका तहे दिल के शुक्रिया !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2013 at 9:23am

आदरणीया वन्दना जी, गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service