बोलो किसको राम कहूँ मै
*********************
सबके दिल मे रावण देखा, बोलो किसको राम कहूँ मै !
धृतराष्ट्र से मोह मे अन्धे
अपना अपना बचा रहे है
चौक चौक मे दुर्योधन बन
चौसर द्युत सा सजा रहे है
भीष्म सदा ही चुप रहता है
बोलो किसको श्याम कहूँ मै
सबके दिल मे रावण देखा, बोलो किसको राम कहूँ मै !!
हर राजा सर चढ़ा ज़ुर्म है
भूले सारे सत्य - मर्म हैं
मानव सेवा की क़समे लें
केवल लूटें , यही धर्म है
तुम भूखे थे, रोटी छीनी
फिर किसको बदनाम कहूँ मैं
सबके दिल मे रावण देखा, बोलो किसको राम कहूँ मै !!!
सुबह हुई पर डरी हुई है
धूप है लेकिन मरी हुई है
सारे मौसम आतंकित हैं
सब में दहशत भरी हुई है
सच कोने मे छिपा हुआ है
क्यों सच का संग्राम कहूँ मै
सबके दिल मे रावण देखा, बोलो किसको राम कहूँ मै !!!!
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीया कल्पना जी , गीत पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिये उत्साह वर्धक है !!!! सराहना के लिये आपका आभार !!!!
सुबह हुई पर डरी हुई है
धूप है लेकिन मरी हुई है
सारे मौसम आतंकित हैं
सब में दहशत भरी हुई है
सच कोने मे छिपा हुआ है
क्यों सच का संग्राम कहूँ मै....शानदार!!!
सुंदर गीत के लिए आपको हार्दिक बधाई
आदरणीय गणेश भाई , गीत रचना की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका दिली आभार !!!!!
आदरणीय मीना जी , गीत की सराहना के लिये आपका आभार !!!!!
क्या कहने भाई साहब, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति हुई है, बहुत बहुत बधाई ।
बहुत सुन्दर रचना ... हार्दिक बधाई आदरणीय गिरिराज जी
सादर
आदरणीय आशुतोष भाई , रचना की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ !!!!!!!
आदरणीय गिरिराज जी .वर्तमान परिस्थितियों का चित्रण करती ..एक शसक्त रचना ...दशहरे पर आपके सार्थक राम चिंतन को नमन के साथ
आदरणीय अरुण ' अनंत ' भाई . गीत की सराहना कर मेरा उत्साह वर्धन करने के लिये आपका दिली शुक्रिया !!!!
आदरणीय गिरिराज सर समसामयिक रचना अलग अंदाज में बेहद सुन्दर प्रस्तुति बहुत बहुत बधाई स्वीकारें
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2025 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online