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ग़ज़ल : बँधी भैंसें तबेले में

ग़ज़ल
बह्र : हज़ज़ मुरब्बा सालिम
1222 , 1222 ,

बँधी भैंसें तबेले में,
करें बातें अकेले में,

अजब इन्सान है देखो,

फँसा रहता झमेले में,

मिले जो इनमें कड़वाहट,
नहीं मिलती करेले में,

हुनर जो लेरुओं में है,
नहीं इंसा गदेले में,

भले हम जानवर होकर,
यहाँ आदम के मेले में,

गुरु तो हैं गुरु लेकिन,
भरा है ज्ञान चेले में..

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 2:57am

हा हा हा हा.........  अरुन अनन्त भाई...  :-))))))))

इस मुसलसल हास्य ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई.

जय हो.........

Comment by बृजेश नीरज on October 13, 2013 at 6:15pm

वाह! वाह! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 13, 2013 at 5:20pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय जीतेंद्र भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 13, 2013 at 5:19pm

हार्दिक आभार अजीत जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 13, 2013 at 5:19pm

आदरणीय वीनस भाई जी ग़ज़ल पर आपका आना ही प्रयास को सफल कर देता है आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरे ही अत्यंत सुखद है, अवश्य भाई जी यदि कभी/ कहीं मौका मिलेगा तो जरुर सुनाऊंगा. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बना रहे

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 13, 2013 at 5:18pm

हार्दिक आभार आदरणीय आशुतोष जी स्नेह यूँ ही बना रहे

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 13, 2013 at 5:18pm

हार्दिक आभार आदरणीया महिमा श्री जी

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 13, 2013 at 11:05am

बँधी भैंसें तबेले में,

करें बातें अकेले में,.......वाह! हा हा हा
अजब इन्सान है देखो,
फँसा रहता झमेले में,.....हँसते हँसते, सच्ची बात भी
वाह! आदरणीय अरुण अनंत जी, मजा आ गया, आदरणीय वीनस जी के कहने अनुसार, कभी मंच पर जरुर सुनाईयेगा यह गजल, हंसी से लोट पोट हो जायेंगे, हम सब..  :))
Comment by अजीत शर्मा 'आकाश' on October 13, 2013 at 10:43am

उम्दा !!!

Comment by वीनस केसरी on October 12, 2013 at 1:52am

बँधी भैंसें तबेले में,

करें बातें अकेले में,

हा हा हा जय हो जय हो मजा आ गया ... दिल खोल कर हंसा हूँ

हास्य ग़ज़ल की सभी खोबिया समेटे हुए मस्त मस्त ग़ज़ल हुई है ....

गुरु तो हैं गुरु लेकिन,
भरा है ज्ञान चेले में.. ........... इस शेर में तो अलग ही मजा है /// कभी ये ग़ज़ल आपसे मंच से सुनेगे ... :))))))))

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