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!!! हर काम-दिशा रति पावन हो !!!

!!! हर काम-दिशा रति पावन हो !!!
दुर्मिल सवैया छन्द आठ सगण यथा-112 आठ पुनरावृतित

// 1 //

हर मां जगती तल शीतल सी, नव जीवन दायक है जर* मां।..........*धन अर्थात लक्ष्मी
जर मां सब ध्यान धरे उर में, दर रोशन, बाहर है गर मां।।
गर मां नव दीप जले सुखदा, सुख बांट रहूं सुख को वर मां।
वर मां मुझको शिशु कृष्ण कहो, तम नष्ट करूं वर दे हर मां।।


// 2 //

समिधा सम दुर्गति नष्ट करें, सत पुष्ट करें अति पावन हो।
मन उज्वल हो कर दान सधे, तपनिष्ठ रहें मति पावन हो।।
अति दीन मलीन कुलीन बनें, सुविचार दया गति पावन हो।
नर-नारि सदा सम ज्ञान रहें, हर काम-दिशा रति पावन हो।।

के0पी0सत्यममौलिक व अप्रकाशित

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Comment by वेदिका on October 5, 2013 at 7:52pm

बहुत भावयुक्त रचना !! हार्दिक बधाई !!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 5, 2013 at 7:28pm

सुन्दर छंद रचना के लिए हार्दिक बधाई एवं नवरात्रि की शुभकामनाए 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 5, 2013 at 6:33pm

आदरणीय केवल भाई , ऐसी अनुपम छन्द रचना की तारेफ के लिये मेरे पास शब्दों की शिल्प समझ की कमी हो रही है !! बस गूंगे की गुड़ है मेरे लिये !! मीठा लग रहा है बोल नही पा रहा हूँ !!!! हार्दिक बधाई भाई !!

Comment by रविकर on October 5, 2013 at 5:52pm

बढ़िया जर माँ गर माँ वर माँ धरती पर शान्ति रहे मइया |
शुभ दुर्मिल छंद रचे कवि सुन्दर शिल्प कथा बढ़िया भइया ||

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 5, 2013 at 5:25pm

केवल प्रसाद जी, सुंदर सवैया छंद और नव रात्रि की बधाई ।

Comment by Sushil.Joshi on October 5, 2013 at 2:58pm

नवरात्र के पावन उत्सव पर इन सुंदर सवैयों के लिए हार्दिक बधाई हो आदरणीय केवल प्रसाद जी...

Comment by Abhinav Arun on October 5, 2013 at 1:55pm

समिधा सम दुर्गति नष्ट करें, सत पुष्ट करें अति पावन हो।
मन उज्वल हो कर दान सधे, तपनिष्ठ रहें मति पावन हो।।

     आदरणीय श्री केवल जी बहुत ही सकारात्मक और सुंदर कामना की है आपने इस रचना में ..हार्दिक साधुवाद और बधाई इस सशक्त सार्थक सृजन के लिए ! नवरात्रों की हार्दिक बधाई !!

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