For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - कुर्बतों की बात आखिर क्यों करें

2122 2122. 2122. 212

खो गई है प्यार की पतवार लगता है यही
नाव अपनी पास ही मझधार लगता है यही

कुर्बतों की बात आखिर क्यों करें हम बोलना
कर रहे हैं मौत का व्यापार लगता है यही

रोज ही गढ़ते कहानी बारहा बढ़ते कदम
दिख गया कोई नया बाजार लगता है यही

मौत का मंजर कहीं रस्ते न आ जाए यहाँ
देखकर तैयारियाँ खूँखार लगता है यही

जुल्मतों नें घेर ली है राह चारो ओर से
हाथ में है सो गई तलवार लगता है यही

जीत का आलम कभी दीदार था हमने किया
हाथ में टिकते नहीं हथियार लगता है यही

आँख नम है कोर पर कैसी उदासी छोड़ दो
आँसुओं में बह गया दीदार लगता है यही

पूनम शुक्ला
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 614

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Poonam Shukla on October 8, 2013 at 10:14am
अब समझ आ गया गिरिराज जी ,फिर बदलाव करूँगी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 7, 2013 at 9:07pm

आदरणीया , पूनम जी , मतले के दोनो मिसरों के  सिवाय अगर अन्य शेरों मे रदीफ की आखरी मात्रा दोनो मिसरों मे आये तो उसे दोष माना जाता है !! लगता है यही ,  आपने रदीफ लिया है , वार , धार पार आदि काफिया है , यानी हर्फे कवाफी आर आ रहा है !! अब बाक़ी शेरों मे या तो आप मिसराये सानी मे काफिया रदीफ का बन्धन निभायेंगे  या दोनो मिसरों मे निभा कर हुस्ने मतला जैसे शेर कहेंगे !! मिसराये उला मे ( पहली लाइन ) के अंत मे  केवल की मात्रा अंत मे नही ला सकते ,तकाबुले रदीफ दोष की स्थिति आती है ! हो सके तो पूरा काफिया रदीफ मिलायें या अंत मे की मात्रा न आने दें , क्यों कि आप रदीफ लगता है यही चुने है ! जिसके अंत मे ई  की मात्रा है !!! 

                           क्या पता  आपको समझाने मे सफल हुआ या नही , पर इससे ज्यादा मै नही जानता !!!! सादर !!!

Comment by Poonam Shukla on October 7, 2013 at 8:42pm
नहीं समझ आ रहा

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 7, 2013 at 6:22pm

आदरणीया , मतला अब सही बह्र में है , बधाई !!! 

तकाबुले रदीफ दोष अभी भी है ,

मौत का मंजर कहीं रस्ते न आ जाए कहीं
देखकर तैयारियाँ खूँखार लगता है यही

आँख नम है कोर पर कैसी उदासी झाँकती
आँसुओं में बह गया दीदार लगता है यही

शब्दों के क्रम या शब्द बदल कर बोल्ड लेटर मे लिखे जगहों से की मात्रा बदल दें , ठीक हो जायेगा !!

Comment by Poonam Shukla on October 7, 2013 at 6:04pm
मैंने कुछ बदलाव किया है ,अगर अभी भी कमी हो तो बताएँ ,सादर ।
Comment by coontee mukerji on October 5, 2013 at 1:11am

बहुत सुंदर.

Comment by वीनस केसरी on October 4, 2013 at 11:14pm

सुन्दर प्रयास है
हार्दिक शुभकामनाएं

Comment by MAHIMA SHREE on October 4, 2013 at 10:30pm

आँख नम है कोर पर कैसी उदासी झाँकती
सावनों में घुल गई है खार लगता है यही... बढ़िया है बधाई आपको

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 4, 2013 at 12:44pm

आदरणीया आपने मतले में ही बहर का निर्वाह नहीं किया है, मतला ही बेबहर हो रहा है साथ ही साथ अंतिम शेर में तकाबुले रदीफ़ का भी दोष है कृपया देख लें. ग़ज़ल पर आपका प्रयास अच्छा है सही दिशा में है सतत प्रयासरत रहें, इस प्रयास पर बधाई स्वीकारें.

Comment by बृजेश नीरज on October 4, 2013 at 8:59am

ग़ज़ल कहने का अच्छा प्रयास हुआ है. आपको हार्दिक बधाई!

बहर के अनुसार ही शब्दों को व्यवस्थित करने का प्रयास करें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
9 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
21 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service