For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- लगा दूँ आग पानी में

1222. 1222. 1222

जरा ठहरो लगा दूँ आग पानी में
कहीं गुम हो न जाए फाग पानी में

कहीं तो डोलती होगी हवा मीठी
पकड़ कर खींच लाऊँ राग पानी में

चले तो थे कदम उसके यहीं शायद
चहकता तो नहीं है काग पानी में

फिज़ाओं में कभी तो रौनकें होंगी
लहकता बोलता है बाग पानी में

न आ जाए कहीं सैलाब उठ जा भी
कहीं तू बह न जाए जाग पानी में
पूनम शुक्ला

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 692

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 16, 2013 at 12:07pm

पुनमजी, बधाइयाँ. आपकी कोशिश संयत है. अरूज़ के अनुसार ग़ज़ल को निभा ले जाना कहीं से कमतर नहीं होता.

ये कोशिश ज़रूर रंग लायेगी.   शुभकामनाएँ

Comment by वीनस केसरी on October 12, 2013 at 2:09am

कहीं तो डोलती होगी हवा मीठी
पकड़ कर खींच लाऊँ राग पानी में

यह एक शेर पसंद आया ... ग़ज़ल के अन्य शेर कफिया को निभाने के लिए कहे गए प्रतीत होते हैं ... ऐसा बनावटीपन ग़ज़ल को हल्का कर देता है

Comment by Sushil.Joshi on October 9, 2013 at 5:05am

इस खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई संप्रेषित है आदरणीया पूनम जी...

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 8, 2013 at 11:02pm

वाह आदरणीया पूनम जी वाह एक बेहद शानदार ग़ज़ल क्या कहने मजा आ गया दिल से बधाई स्वीकारें.

Comment by annapurna bajpai on October 8, 2013 at 11:02pm

आदरणीया पूनम जी बहुत ही बढ़िया गज़ल के लिए दिली दाद कुबूल करें । 

Comment by Sarita Bhatia on October 8, 2013 at 9:20am

आदरणीया पूनम जी खुबसूरत गजल ,बधाई स्वीकार करें 

Comment by कल्पना रामानी on October 7, 2013 at 9:09pm

सुंदर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई पूनम जी

Comment by Poonam Shukla on October 7, 2013 at 8:40pm
मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 7, 2013 at 8:31pm

आदरणीया पूनम शुक्ल जी, बहुत ही अच्छी ग़ज़ल हुई है, सभी शेर अच्छे लगें, चौथा शेर एक बार पुनः देख लें, तकाबुले रदीफ़ नामक ऐब परिलक्षित है । 

कभी तो रौनकें होगी फिज़ाओं में
लहकता बोलता है बाग पानी में

निराकरण सुझाव :-

फिज़ाओं में कभी तो रौनकें होगी 

बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर । 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 7, 2013 at 5:52pm

हार्दिक बधाई भाव पूर्ण ग़ज़ल है !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service