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लघुकथा : गिरगिट (गणेश जी बागी)

ल राज्य में आम चुनाव के परिणाम का दिन था लोटन दास 'चम्मच छाप' पार्टी का पक्का समर्थक था, 'चम्मच छाप" बिल्ला लगाए, झंडा और गुलाल लिए वो और उसके साथी मतगणना स्थल पर सुबह से मौजूद थें, उसकी पार्टी को शुरूआती बढ़त मिलने लगी, लोटन दास और उसके साथी पूरे उमंग में नारे लगा-लगा कर गुलाल उड़ाते हुए नाच रहे थे । 

किन्तु यह क्या ! दोपहर बाद 'थाली छाप' पार्टी ने बढ़त बना ली और अंततः समूचे राज्य में पूर्ण बहुमत से 'थाली पार्टी' की जीत हो गई । लोटन दास देर रात घर लौट आया, गुलाल से पूरी तरह सराबोर, उसके कुरते पर अब 'थाली छाप' बिल्ला अपनी चमक बिखेर रहा था । 

(मौलिक व अप्रकाशित)

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 4, 2013 at 7:59pm
  • आदरणीय अरुण कुमार निगम साहब, आपकी सराहना सदैव उत्साहवर्धक होती हैं,बहुत बहुत आभार । 
  • बहुत बहुत आभार आदरणीय रविकर जी, प्रतिक्रियात्मक दोहा सबकुछ कहने में सक्षम है । 
  • लघुकथा को सराहने हेतु ह्रदय से आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी । 
  • बहुमूल्य टिप्पणी हेतु आभार आदरणीया कुंती मुखर्जी जी । 
  • आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी आप के कहे से बिलकुल सहमत हूँ, सराहना हेतु बहुत बहुत आभार,स्नेह सदा बना रहे । 
  • लघुकथा आपको अच्छी लगी इसके लिए कोटिश: आभार आदरणीया गीतिका वेदिका जी । 
Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on October 4, 2013 at 9:17am

वाह! क्या कहने.... आज के "बैंगनी" राजनीतिक परिदृश्य की सच्ची तस्वीर.... ))))

सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय बागी भाई जी....

Comment by Sushil.Joshi on October 4, 2013 at 7:29am

हा..हा...हा.... बहुत सुंदर लघु कथा है आदरणीय गणेश जी..... सत्यता को प्रदर्शित करती हुई..... वाह... बधाई हो....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 10:47pm

जिसका राज उसके पूत ....वाह!  सुन्दर लघुकथा आदरणीय गणेश जी  हार्दिक बधाई "


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2013 at 10:15pm

एक थाली को क्या चाहिये ?  बैंगन ! ...  मिल भी गया !!...

बहुत बहुत बधाई .. इस लघु कथा के लिए, गणेश भाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on October 3, 2013 at 9:40pm
बहुत खूब बागी जी. लघुकथा में एक विशाल सत्य प्रतिफलित हुआ है अत्यंत सहज और सुंदर ढंग से. अभिनंदन आदरणीय.
Comment by annapurna bajpai on October 3, 2013 at 9:25pm

क्या बात है ? आज के नेताओं की पोल ही खोल डाली , ऐसे ही तो है सभी पार्टी के कार्य कर्ता और नेता एकदम गिरगिट के माफिक , बहुत बधाई आपको इस संदेश परक लघु कथा हेतु , आदरणीय बागी जी । 

Comment by Abhinav Arun on October 3, 2013 at 8:02pm

अहा श्री बागी जी वर्तमान राजनीति को अपने भीतर समेटे बहुत खूबसूरत लघुकथा हुई है मन प्रसन्न हो गया . लोटन दास का चरित्र बहुत बढ़िया स्थापित हुआ है रोचक तरीके से . वाह वाह हार्दिक बधाई आपको !!

Comment by Neeraj Neer on October 3, 2013 at 7:46pm

बहुत सुन्दर कटाक्ष करती रचना .. 

Comment by बृजेश नीरज on October 3, 2013 at 6:48pm

यही हो ही रहा है! सत्ता बदलने के साथ लोगों की निष्ठाएं तुरंत करवट बदल लेती हैं. बहुत सुन्दरता से इस प्रवृत्ति को रेखांकित किया है आपने. इस सुन्दर लघु कथा पर आपको हार्दिक बधाई!

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