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दीप बन अँधेरी राहो पे जलने लगा हूँ !

धवल चंद्रमा सा चमकने लगा हूँ !

चीर  कर सीना निशा का  ,

जग के तम को हरने लगा हूँ !

ना दे सहारे को अब कोई बैसाखी !

खुद के पैरो पे जो चलने लगा हूँ !

लडखडाहट का दौर गुजर चुका है !

अब तो मैं सँभलने लगा हूँ !

धो चुका हूँ आँचल के दाग सारे !

फूलों सा अब महकने लगा हूँ !

बंदिशों के पिंजरे तोड़ सारे  !

मुक्त परिंदे सा चहकने लगा हूँ !

जला कर इर्ष्या और कपट को !

ज्वालामुखी सा दहकने लगा हूँ !

अब प्रायश्चित कर पाप का !

उत्थान की राह चलने लगा हूँ !

छोड़कर असत्य और झूठ को !

कीचड़ में कमल सा खिलने लगा हूँ !

 

------डॉ अनुराग सैनी -----

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by वेदिका on October 7, 2013 at 1:39am

रचना मे मजबूत भावनाएं पिरोईं !!

बधाई !!

Comment by विजय मिश्र on October 4, 2013 at 12:51pm
यह आत्मबिश्वास ही हमारे उत्थान का अवदान है ,उबरने का यह संकल्प और सुचेष्ट सबलता सराहनीय है .ओज से भरी-पूरी कविता . बधाई अनुरागजी
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 4, 2013 at 11:56am

दीप बन अँधेरी राहो पे जलने लगा हूँ !

धवल चंद्रमा सा चमकने लगा हूँ !

चीर  कर सीना निशा का  ,

जग के तम को हरने लगा हूँ !

ना दे सहारे को अब कोई बैसाखी !

खुद के पैरो पे जो चलने लगा हूँ !

बहुत सुंदर , सकारात्मक भाव, बधाई स्वीकारे आदरणीय अनुराग जी

Comment by annapurna bajpai on October 3, 2013 at 10:40pm

आदरणीय अनुराग जी बहुत सुंदर रचना बधाई आपको । 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 3, 2013 at 5:12pm

आप सभी के स्नेह और मार्गदर्शन के लिए आभार!  

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 3, 2013 at 3:22pm

आदरणीय ..इस सुंदर रचना पर मेरी हार्दिक बधायी स्वीकार करने का कास्ट करें 

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 3, 2013 at 11:22am

आदरणीय अनुराग जी बहुत सुन्दर रचना इस हेतु बधाई स्वीकारें बाकी आदरणीय भ्राताश्री एवं आदरणीय विन्ध्येश्वरी जी ने कह ही दिया है उनकी कहन का सज्ञान करें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 3, 2013 at 9:03am

आदरणीय अनुराग जी, सुंदर भावपूर्ण रचना हेतु बधाइयाँ, "चूका" को "चुका" करलें तो ? (केवल एक सलाह)

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 2, 2013 at 10:09pm

बधाई अनुरागजी अपने भावों को सुंदर ढ़ंग से पिरोने के लिये ।

Comment by Sushil.Joshi on October 2, 2013 at 9:46pm

भावों को बखूबी शब्दों में पिरोया है आपने आदरणीय अनुराग जी.... बधाई हो...

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