For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : तुम्हारा प्रेम ही - अरुन शर्मा 'अनन्त'

(बह्र: हज़ज़ मुसम्मन सालिम )
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन

तुम्हारा प्रेम ही अक्सर मुझे मगरूर करता है
तुम्हारा प्रेम ही अक्सर मुझे मजबूर करता है

तुम्हारा प्रेम ही खुशियों का इक साधन मेरी खातिर
तुम्हारा प्रेम ही खुशियों से कोसो दूर करता है,

तुम्हारा प्रेम ही हिम्मत मुझे मुश्किल घड़ी में दे,
तुम्हारा प्रेम ही तो हौंसला भी चूर करता है

तुम्हारा प्रेम ही मरहम बने जख्मों पे लग जाए ,
तुम्हारा प्रेम ही तो घाव को नासूर करता है

तुम्हारा प्रेम ही अस्तित्व मिटाने को सदा आतुर,
तुम्हारा प्रेम ही रक्षा मेरी भरपूर करता है... 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 800

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 30, 2013 at 11:06am

हार्दिक आभार आदरणीय अनुराग जी

Comment by Abhinav Arun on September 30, 2013 at 11:04am

तुम्हारा प्रेम ही अस्तित्व मिटाने को सदा आतुर,
तुम्हारा प्रेम ही रक्षा मेरी भरपूर करता है... 

 

                    हर शेर शानदार भावपूर्ण दिल से निकला हुआ ..शायर की ईमानदारी की मिसाल देता .. बहुत बधाई स्वीकारें अरुण जी ...हाँ एक निवेदन  .... प्रेम बहुत मुश्किल शय है ..चचा ने कहा था ...आग का दरिया ....खुदा हासिल होने जैसा ...

.

इश्क अल्लाह की इबादत है ,

 

इश्क अल्लाह का पता लाया

 

                 ...मेरे इस शेर के जैसा ... तो सानी मिसरों के उत्तरार्ध में जो प्रेम के बारे में बातें कही हैं ''तुम्हारा प्रेम ही खुशियों से कोसो दूर करता है, '''जैसी ..थोड़ी इनसे अ सहमति है .... चोट हम सबने खाई है पर दोष अक्सर चलने का होता है पत्थर का नहीं सो आइये प्रेम को पूजें !! सादर नमन वंदन ..दिल की बात थी अपना समझ कही है बुरा न मानियेगा ..संकोच है ..और स्नेह और आशीष बहुत बहुत !!

Comment by Vindu Babu on September 30, 2013 at 10:15am
आदरणीय अरुन जी प्रेम के विभिन्न आयामों को दर्शाती सुन्दर गजल है।
सादर बधाई आपको
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 30, 2013 at 9:06am

तुम्हारा प्रेम ही खुशियों का इक साधन मेरी खातिर
तुम्हारा प्रेम ही खुशियों से कोसो दूर करता है,...........वाह! बहुत ही गहरे प्रेम की सच्चाई

तुम्हारा प्रेम ही हिम्मत मुझे मुश्किल घड़ी में दे,
तुम्हारा प्रेम ही तो हौंसला भी चूर करता है............जब प्रेम में भरोसा टूटे

तुम्हारा प्रेम ही मरहम बने जख्मों पे लग जाए ,
तुम्हारा प्रेम ही तो घाव को नासूर करता है ..........बहुत सटीक ख्याल

वाह! बहुत ही शानदार गजल, एक से बढकर एक शेर, दिली दाद कुबूल कीजिये आदरणीय अरुण अनंत जी

Comment by vijay nikore on September 30, 2013 at 4:27am

//तुम्हारा प्रेम ही मरहम बने जख्मों पे लग जाए ,
तुम्हारा प्रेम ही तो घाव को नासूर करता है // ....     ....  बहुत खूब !

 

बधाई।

विजय निकोर

Comment by Sarita Bhatia on September 29, 2013 at 9:36pm

लाजवाब 

उम्दा

खुबसूरत

Comment by Meena Pathak on September 29, 2013 at 8:44pm

बहुत सुन्दर ... बधाई 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 29, 2013 at 8:37pm

तेरा प्रेम ही बनाता है मेरे ख्वाबो के महल !

तेरा प्रेम ही फिर उन्हें  चकनाचूर करता है !

 

सुभान अल्लाह ! उम्दा ग़जल

क्यों मिलती नही मंजिल मोहब्बत के मारो को !

दिल बार - बार यही सोचने को मजबूर करता है 

एक प्रशन ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service