For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सिर्फ कानों सुना नहीं जाता

2 1 2 2   1 2 1 2   2 2

सिर्फ कानों सुना नहीं जाता
लब से सब कुछ कहा नहीं जाता

दर्द कि इन्तहां हुई यारों
मुझसे अब यूँ सहा नहीं जाता

देश का हाल जो हुआ है अब
चुप तो मुझसे रहा नहीं जाता

चुन के मारो सभी  दरिन्दों को
माफ इनको किया नहीं जाता

वो खता बार- बार करता है
फिर सज़ा क्यूँ दिया नहीं जाता

है भला क्या तेरी परेशानी
बावफ़ा जो हुआ नहीं जाता

कैसे वादा निभाऊ जीने का
तेरे बिन अब जिया नहीं जाता

संजू शब्दिता मौलिक व अप्रकाशित

Views: 707

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 1, 2013 at 8:39pm

वाह वाह भइ वाह !!  अच्छी ग़ज़ल हुई है.

यों, मतला में तो यों इता दोष है. चूँकि, ग़ज़ल लिखने की आपकी यह प्रारम्भिक अवस्था है, सो अभी तो वाह-वाह .. लेकिन आगे से ठीक हो लीजिये.... :-))))

दर्द कि इन्तहां हुई यारों .. यहाँ यारो होगा, नकि यारों.. आपने यार-अपनों को सम्बोधित किया है न ! फिर?

दो-एक शेर तो वाकई बहुत ऊँचे हुए हैं.
दिली दाद कुबूल कीजिये.

Comment by sanju shabdita on September 30, 2013 at 5:13pm

veenas ji mai abhibhoot hu aapke anumodan ne to mano mere ghazal me pankh bandh kar hawa me uda diya ho..

aur mai use pakad nahi pa rahi...

                                hausala aafjaie ke liye bahut-bahut shukriya 

                                                        sadar

Comment by sanju shabdita on September 30, 2013 at 5:07pm

aap sabhi sudhijanon ka hridaytal se bahut-bahut aabhar

Comment by vijay nikore on September 30, 2013 at 4:55am

गज़ल में सभी खयाल बहुत अच्छे लगे।

आपको बधाई, आदरणीया संजु जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Neeraj Neer on September 28, 2013 at 8:49am

बहुत खूब 

कैसे वादा निभाऊ जीने का 

तेरे बिन अब जिया नहीं जाता 

अच्छी ग़ज़ल कही है .. बधाई ..

Comment by annapurna bajpai on September 28, 2013 at 12:15am

देश का हाल जो हुआ है अब
चुप तो मुझसे रहा नहीं जाता 

चुन के मारो सभी  दरिन्दों को 
माफ इनको किया नहीं जाता 

वो खता बार- बार करता है 
फिर सज़ा क्यूँ दिया नहीं जाता ................ बढ़िया शेर , पूरी नज़्म ही सौंदर हुई है । बधाई आपको । 

Comment by sanju shabdita on September 27, 2013 at 8:58pm

adarneeya admin ji namaskar... aapse nivedan hai ki es ghazal se ''wo saza bar- bar karta hai ''wala sher hata dijiye aapki kripa hogi.  sadar

Comment by वीनस केसरी on September 27, 2013 at 8:49pm

है भला क्या तेरी परेशानी
बावफ़ा जो हुआ नहीं जाता

इस एक शेर में प्यार, मनुहार, झिडकी, प्रश्न, गुस्सा, आक्रोश, निराशा, हताशा, उलझन के साथ और न जाने कितने ही रंगों को महसूस किया जा सकता है
शेर जब इतना सादा ज़बान हो, मानवीय संवेदनाओं के सभी रंगों को समेटे हुए भी पानी के जैसा रंगहीन हो तो पाठक और श्रोता अदायगी पर झूम झूम जाते हैं .... मैं भी झूम रहा हूँ
इस एक शेर ने मुकम्मल ग़ज़ल को संभाल लिया है
बधाई

मतला में इता दोष है जिससे बचना जरूरी है ... 
शुभकामनाएं

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 5:02pm

सुन्दर ग़ज़ल //हार्दिक बधाई आदरणीया संजू जी !!

Comment by Abhinav Arun on September 27, 2013 at 4:31pm

देश का हाल जो हुआ है अब
चुप तो मुझसे रहा नहीं जाता

चुन के मारो सभी  दरिन्दों को
माफ इनको किया नहीं जाता

वो खता बार- बार करता है
फिर सज़ा क्यूँ दिया नहीं जाता

                             .... सुन्दर सशक्त तेवर की ग़ज़ल हार्दिक बधाई संजू जी !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service