For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मोर दशा वह देखत सोचत अविरल प्रेम अश्रु जल ढारे ।
पागल जो बन घूम रहा दर बे दर प्यार छुपा मन मारे ।
दोष रहा किसका वह बन चातक ढूंढ रहा दिल हारे ।
मै वरती उसको पर ये दुनिया भई प्रेम दुश्मन हमारे ।

मोर - मेरा/मेरी
..................................
मोलिक अप्रकाशित

Views: 575

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 24, 2013 at 10:51am

आदरणीय रमेश भाई प्रयास अच्छा है प्रयासरत रहें बाकी आदरणीय सौरभ जी ने कह ही दिया उनकी बातों का सज्ञान करें, रमेश भाई केवल एक बात कहूँगा रचना पोस्ट करने से पहले एक बार स्वयं पढ़कर जाँच लें जल्दबाजी न करें. इस प्रयास पर मेरी ओर से बधाई स्वीकारें.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 23, 2013 at 11:42pm

अति सुंदर रचना, बधाई आदरणीय रमेश जी

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 23, 2013 at 12:14pm

परम आदरणीय सौरभ सर आपके आशीष के लिये सादर नमन । मै इसी माह ओबीओ का सदस्य बना और छंद विधान समूह में आपलोगों के आलेख का अध्ययन किया । मेरी रूचि जागृत हुई और अपना अभ्यास करके मूल्यांकन हेतु सादर समर्पित किया ।

मेरी यह सवैया मत्तगयंद सवैया का ही प्रयास है आपके निदे्रश/सुझाव के संबंध में निवेदन है कि -

1. मोर दशा वह देखत सोचत अविरल प्रेम अश्रु जल ढारे . में लघु लघु गुरू बनाने का दुश्साहस हो गया जो कल के छंद उत्साव 30 से ही स्पष्ट हो गया कि गलत प्रयास है।

2.दोष रहा किसका वह बन चातक ढूंढ रहा दिल हारे ..........में "बन" के पूर्व "तो" मेरे अभ्यास में है किन्तु टकंण त्रुटि रह गया ।

3.मै वरती उसको पर ये दुनिया भई प्रेम दुश्मन हमारे................. में मुझे इस बात का भान था कि कथ्य स्पष्ट नही कर पा रहा हू  यह मेरी असफलता है । मै आपको आश्वस्त करता कि भविष्य में इन त्रुटियों पर यथा संभव नियत्रंण का प्रयास करूंगा ।

आपके गुरूत्व भाव को सादन नमन करते हुये सादर.......

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 23, 2013 at 12:03pm

आदरणीय रविकरजी एवं गिरिराज जी हार्दिक अभिनंदन


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 23, 2013 at 11:20am

आदरणीय रमेश कुमार जी , सुन्दर रचना के लिये , बधाई !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 23, 2013 at 10:03am

प्रयासरत रहें.. आपने संभवतः मत्तगयंद सवैया में रचनाकर्म किया है. अपने छंद की सूचना अवश्य दिया करें.

मोर दशा वह देखत सोचत अविरल प्रेम अश्रु जल ढारे ....   यहाँ भगण (ऽ॥) की स्थिति नहीं बन रही है. यदि यह मत्तयंद है तो.
पागल जो बन घूम रहा दर बे दर प्यार छुपा मन मारे ...... 
दोष रहा किसका वह बन चातक ढूंढ रहा दिल हारे ..........  उपरोक्त दोष पुनः भगण (ऽ॥) का नहीं होना सवैया को कमजो कर गया.
मै वरती उसको पर ये दुनिया भई प्रेम दुश्मन हमारे .....   .. ??

कथ्य भी संयत नहीं है,आदरणीय.

आपको आपके प्रयास के लिए हार्दिक शुकामनाएँ .

शुभेच्छाएँ

Comment by रविकर on September 23, 2013 at 8:49am

सुन्दर 
आभार आदरणीय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
42 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service