For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिन्दी हिन्द की बेटी, ढूंढ रही सम्मान ।
घर गली हर नगर नगर, सारा हिन्दूस्तान ।।
सारा हिन्दूस्तान, दासत्व छोड़े कैसे ।
उड़ रहे आसमान, धरती पग धरे कैसे ।।
‘रमेश‘ कह समझाय, अपनत्व माथे बिन्दी ।
स्वाभीमान जगाय, ममतामयी है हिन्दी ।।
.....................................
मौलिक अप्रकाशित

Views: 491

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 21, 2013 at 4:26pm

आदरणीय रमेश जी ..इस बिधा की मुझे कोई जानकारी नहीं है ..हिंदी  भाषा के सम्मान से जुडी इस बात का मैं तहे दिल सम्मान करता हूँ ..सादर बधाई के साथ 

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 20, 2013 at 9:19pm

डा आशुतोषजी सादर अभिवादन मै नवरचनाकार हू । आप मेरे ओर ध्यान दिये इसके लिये धन्यवाद । मेरी मंशा दिग्भ्रमित करना नही है जो मै पढा समझा लिख दिया हो सकता है मै गलत ही हू फिर भी अच्छा होता आप स्पष्ट मार्गदर्शन करते । सादर

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 20, 2013 at 6:14pm

कुण्डली और कुण्डलिया में अन्तर होता है, दोनों छंदों का शिल्प विधान भिन्न है.......कृपया नवागन्तुक रचनाकारों को दिग्भ्रमित कदापि न करें...और जो छन्द रचें उसी का नाम लिखें 

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 20, 2013 at 3:56pm

आदरणीय रमेश भाई जी प्रयास बहुत ही सुन्दर है भाई जी आदरणीय रविकर सर के द्वारा किये गए संसोधन पर ध्यान दें काफी कुछ स्पष्ट हो जायेगा प्रयासरत रहें शीघ्र ही निपुण हो जायेंगे. इस प्रयास पर बधाई स्वीकारें.

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 20, 2013 at 3:42pm

आदरणीय रविकरजी मैं आपके तात्क्षण्किता एवं सूक्ष्मता से अति प्रभावित हू, आपके प्रत्येक संशोधन मेरे लिये मार्गदर्शन है जिसे मै अपने मानस मे सहेज कर रख रहा हू । इसी प्रकार सहयोग की आपेक्षा से सादर -

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 20, 2013 at 3:34pm

आ गिरिराज भंडारीजी,आदरणीया मलिकजी आपके उत्साहवर्धन के लिये साधुवाद

Comment by Parveen Malik on September 20, 2013 at 2:58pm
हिन्दी की व्यथा ... अपने ही देश में पराई ... बहुत बढिया आदरणीय ... बधाई !
Comment by रविकर on September 20, 2013 at 2:24pm

बहुत बढ़िया भाव हैं आदरणीय-
प्रवाह बाधित हो रहा था-
कुछ छेड़ छाड़ कर दी है-
सादर-

हिन्दी बेटी हिन्द की, ढूंढ रही सम्मान ।
ग्राम नगर हर गली में, धिक् धिक् हिन्दुस्तान ।
धिक् धिक् हिन्दुस्तान, दासता छोड़े कैसे ।
सामंती व्यवधान, बेड़ियाँ तोड़े कैसे।।
कह ‘रमेश‘ समझाय, बना माथे बिन्दी ।
बन जा धरतीपुत्र, बड़ी ममतामय हिन्दी ।।
.....................................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2013 at 1:38pm

आदरणीय रमेश भाई , हिन्दी भाषा की शान मे रची सुन्दर कुंडलिया के लिये आपको बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service