For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल:मुजरिम मैं नहीं,पर मुफ़लिसी..........

मुजरिम मैं नहीं पर मुफ़लिसी गोयाई छीन लेती है
दौलत आज भी इन्साफ की बीनाई छीन लेती है

हैं जौहर आज भी मुझ में वही तेवर भी हैं लेकिन
सियासत अब मेरे हाथों से रोशनाई छीन लेती है

नफरत थक गयी दामन मेरा मैला न कर पाई
मोहब्बत मेरे दामन से हर रुसवाई छीन लेती है

यही रहज़न कभी रहबर हुआ करता था बस्ती का
ग़रीबी रंग में आती है तो अच्छाई छीन लेती है


~सालिम शेख
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 832

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by saalim sheikh on September 17, 2013 at 1:30pm

मोहतरम वीनस केसरी जी ज़हे नसीब कि आप के क़ीमती तब्सरे ने मेरे अशआर की वक़्अत मे इज़ाफ़ा किया, आगे से मैं ख्याल रखूँगा  की गज़ल की तमाम बारीकियों का ख़याल रख सकूँ

Comment by Abhinav Arun on September 17, 2013 at 5:56am

शेर अच्छे कह रहे हैं ...कक्षाएं ज्वाइन कर लें ...ग़ज़लगोई निखर जायेगी :-) शुभकामनायें और बधाई आदरणीय !!

Comment by वीनस केसरी on September 17, 2013 at 12:27am

काफ़िया रदीफ़ का सुन्दर निर्वाह किया है बधाई स्वीकारें ....
ग़ज़ल विधान के अन्य तत्वों का निर्वाह कर ले जाते तो शानदार ग़ज़ल हो जाती 
शुभकामनाएं

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 17, 2013 at 12:03am

बेहतरीन शेर कहे आपने, बधाई आपको आदरणीय सालिम साहब

Comment by saalim sheikh on September 16, 2013 at 6:29pm

आ0 गिरिराज भंडारी जी बहुत बहुत धन्यवाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 16, 2013 at 5:16pm

आदरणीय सलीम भाई , चारों शे र लाजवाब कहे  हैं आपने , आपको बहुत बहुत बधाई !!

Comment by saalim sheikh on September 16, 2013 at 1:52pm

आदरणीय अरुण शर्मा जी सराहना एवं मार्गदर्शन के लिए तहे दिल से शुक्रिया 

मैं आपका आभारी हूँ की आपने मेरे अशआर देखे और अपने कीमती मशवरों से नवाज़ा
आगे से मैं बह्र लिखने का ध्यान ज़रूर रखूँगा

Comment by saalim sheikh on September 16, 2013 at 1:41pm

आ0 श्याम नरेन वर्मा जी बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 16, 2013 at 11:02am

आदरणीय सालिम शेख भाई ओ बी ओ पर आपका हार्दिक स्वागत है, आपने चार अशआर पेश किये हैं यदि एक अशआर और जोड़ देते तो ग़ज़ल पूर्ण हो जाती साथ ही साथ बहर का भी लिख देंगे तो मुझे एवं ग़ज़ल सीख रहे अन्य मित्रों को ग़ज़ल को समझने एवं टिपण्णी करने में सहजता हो जाएगी.

भाई यदि आपके चार अशआर की बात करूँ तो दिल को छू लिया आपने, मतला ही ऐसा शानदार है कि बस वाह वाह कहने का बरबस ही मन कर जाता है, अंतिम शेर ने तो लूट ही लिया भाई. इन अशआरों पर मेरी ओर से दिली दाद कुबूल फरमाएं.

Comment by Shyam Narain Verma on September 16, 2013 at 10:48am
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
10 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश…"
21 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"स्वागतम"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ

212 212 212 212  इस तमस में सँभलना है हर हाल में  दीप के भाव जलना है हर हाल में   हर अँधेरा निपट…See More
Tuesday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Saturday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत धन्यवाद"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service