For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 1212  22

कुछ बहा पर बचा ज़रा भी है

जख़्म लेकिन, कही हरा भी है

जिनको बांटा उन्हें मिला भी पर

प्यार से दिल मेरा भरा भी है

ख़्वाब ताबीर तक कहाँ पहुंचा

थक के हारा, कभी मरा भी है

बात करता है वो महज़ सच की

सरफिरा है मगर खरा भी है   

जख़्म तुम सोच के ही दिखलाओ

हाथ निश्तर है ,उस्तरा भी है

ज़िन्दगी एक स्वाद क्या मानी

स्वाद मीठा है चरपरा भी है  

कोई कहता मुझे,मै खुश होता

तू कहीं से गज़ल सरा भी है

  मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 821

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 13, 2013 at 9:25pm

आदरणीय  अनुराग जी , हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया !!

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 13, 2013 at 9:12pm

बहुत ही सुंदर , बात करता है वो महज सच की 

                    सरफिरा है मगर खरा भी है ! दिल को छू गए , हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 13, 2013 at 9:12pm

आदरणीय वीनस भाई , बहुत खुशी हुई ,आपने समय दिया इसके लिए आपका आभार , सराहना के लिए बहु शुक्रिया !! मेरी पहली गज़ल है जिसमे कोई गलती नही निकली , !!

Comment by वीनस केसरी on September 13, 2013 at 8:03pm

बात करता है वो महज़ सच की

सरफिरा है मगर खरा भी है   


जख़्म तुम सोच के ही दिखलाओ

हाथ निश्तर है ,उस्तरा भी है


ये दो अशआर खूब पसंद आए .. ग़ज़ल अपनी रवानी में बहा ला जाती है
मूल शब्द निश्तर अपने प्रचलित रूप नश्तर के साथ अब अधिक सहज लगता है ...मैं हिन्दुस्तानी ज़बान की ग़ज़ल में नश्तर ही प्रयोग करता


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 13, 2013 at 6:05pm

आदरणीय विजय भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 13, 2013 at 6:04pm

आदरणीय ललित भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका दिली आभार !!

Comment by vijay nikore on September 13, 2013 at 6:00pm

इस सुन्दर गज़ल के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय गिरिराज जी।

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on September 13, 2013 at 5:36pm

 अच्छी गजल, सुंदर रचना के लिए बधाई |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 13, 2013 at 3:59pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 13, 2013 at 3:16pm

जिनको बांटा उन्हें मिला भी पर

प्यार से दिल मेरा भरा भी है........वाह ! बहुत खूब

ज़िन्दगी एक स्वाद क्या मानी

स्वाद मीठा है चरपरा भी है ....... यह शेर बहुत पसंद आया

बढ़िया गजल प्रस्तुति , तहे दिल से दाद कुबूल कीजिये आदरणीय गिरिराज जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
8 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
10 hours ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीया रक्षिता जी,  आपकी इस कविता में प्रदता शीर्षक की भावना निस्संदेह उभर कर आयी…"
11 hours ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक शेर की विषय - वस्तु…"
13 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी "
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service