For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाँफता काँपता सा

हाथी भागा जा रहा था

चीखता हुआ

‘वो निकाल लेना चाहते हैं

मेरे दाँत

सजाएँगे उन्हें

अपने दीवानखाने में

मूर्तियाँ बनाकर

जैसे पेड़ों को छीलकर

बना डालीं फाइलें

और प्रेमपत्र।‘

- बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

 

Views: 744

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रविकर on September 4, 2013 at 4:37pm

गजब है हाथी की चिग्घाड़ -
प्रेम पत्र / फ़ाइल को लताड़-


शुभकामनायें आदरणीय-


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 4, 2013 at 3:37pm

बहुत खूबसूरत सुप्रवाहित अभिव्यक्ति और सार्थक कथ्य 

हार्दिक बधाई आ० बृजेश जी 

Comment by बृजेश नीरज on September 4, 2013 at 1:33pm

आदरणीय निकोर साहब, आपको हार्दिक आभार! 

Comment by vijay nikore on September 4, 2013 at 1:11pm

कुछ ही शब्दों में आपने कितना कुछ कह लिया। अच्छी रचना के लिए साधुवाद।

सादर,

विजय निकोर

Comment by बृजेश नीरज on September 4, 2013 at 10:26am

आदरणीय श्याम नारायण जी आपका आभार!

Comment by Shyam Narain Verma on September 4, 2013 at 10:23am
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.
Comment by बृजेश नीरज on September 4, 2013 at 10:11am

आदरणीया मीना जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 4, 2013 at 10:10am

आदरणीय बागी जी आपका हार्दिक आभार! आपको रचना अच्छी लगी, मेरा प्रयास सफल हुआ।
सादर!

Comment by Meena Pathak on September 4, 2013 at 9:12am

बहुत सुन्दर कविता .... बहुत बहुत बधाई आप को आ० बृजेश जी


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 4, 2013 at 9:00am

उफ्फ !! बृजेश भाई आजाद कविता में आप बहुत ही बढ़िया दखल रखते हैं, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service