For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा - अनुष्ठान (शुभ्रा शर्मा 'शुभ ')

बहुत उपचार के बाद भी चित्रा की गोद सूनी थी |पूरा परिवार चिंतित रहता था |चित्रा यज्ञं हवन के लिए पति राजेश पर दवाब देती तो नोक-झोक हो जाती थी |राजेश को पूजा पाठ पर विश्वास नहीं था | काफी मेहनत के बाद चित्रा की माँ अपने भगवान् तुल्य गुरूजी मायाराम बाबू से मिली |गुरूजी चित्रा के कुंडली में संतान के घर में अनिष्टकारी ग्रह देख एक ग्रह शांति का ख़ास अनुष्ठान कराने के लिए उनके घर आने को राजी हो गए |चित्रा भी उत्साहित हो गुरूजी की आवभगत की सारी तैयारियाँ कर ली थी | गुरूजी और चित्रा को पूजा करते करते रात हो गयी, तभी चित्रा रोते हुए माँ से लिपट कर कहने लगी, 'मुझे माँ नहीं बनना .....

शुभ्रा शर्मा 'शुभ '

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 836

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 3, 2013 at 1:53pm

आदरणीय शुभ्रा जी , सामयिक , सुन्दर लघुकथा के लिये बधाई !! 

Comment by aman kumar on September 3, 2013 at 11:51am

एस प्रकार के कुकत्य पर लिखते हुए आपकी कलम भी कही कही ठहरी है , पर अनुचित भी नही है ...........

अति सुंदर कथा ........

Comment by Abhinav Arun on September 3, 2013 at 8:11am

महत्वपूर्ण यह है की आज हम ऐसे विषयों पर कलम चलाएँ ..मज़बूती और मुखरता के साथ और wo आपने किया है बहुत बहुत साधुवाद आपको !!

Comment by vandana on September 3, 2013 at 6:42am

सामयिक और  प्रेरक लघुकथा आदरणीया शुभ्र जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 2, 2013 at 11:55pm

बहुत बढ़िया लघुकथा, बधाई आदरणीया शुभ्रा जी


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 2, 2013 at 9:32pm

लघुकथा पर सुन्दर प्रयास हुआ है, हलाकि सामयिक घटनाओं का प्रभाव ही है कि प्रारंभ में ही पूरी कथा समझ में आ जा रही है, बधाई इस प्रस्तुति पर । 

Comment by राजेश 'मृदु' on September 2, 2013 at 7:30pm

जो हो रहा है वही आपने लिखा है आदरेया । बाबा तो गड़बड़ हैं ही पर आदमी भी कम नहीं जो संतान के लिए अनुष्‍ठान कराते हैं और चिकित्‍सा से दूर भागते हैं, सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 2, 2013 at 3:59pm

शुभ्रा जी आपकी लघुकथा ने  अंत में ज्यादा ना कहते हुए भी सब कुछ कह दिया,बहुत सामयिक लघु कथा है यही तो हो रहा है आजकल ,बधाई आपको इस लघु कथा के लिए  

Comment by shubhra sharma on September 2, 2013 at 3:52pm

आदरणीय योगराज सर ,बहुमूल्य सलाह एवं मार्गदर्शन हेतु बहुत बहुत बधाई कथा के अंत में चित्रा रोते हुए जो माँ से बोली वो भारतीय सभ्यता और संस्कृति के लिहाज से मैं लिख नहीं सकती| केवल हम और आप समझ सकते है , .आगे भी स्नेह मिलता रहे , सादर 

Comment by annapurna bajpai on September 2, 2013 at 2:33pm
आ0 शुभ्र जी आ0 योगराज जी की बात से सहमत होते हुए मै भी यही कहना चहुंगी कि कथा का अंत कुछ कमजोर सा लग रहा है । अच्छी लघु कथा हेतु बधाई स्वीकारें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service